पॉक्सो एक्ट में मौसा को अंतिम सांस तक कारावास
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : पॉक्सो एक्ट के एक मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश डॉ. ज्ञानेंद्र कुम
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : पॉक्सो एक्ट के एक मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा ने अभियुक्त को अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अभियुक्त को सजा के साथ ही पंद्रह हजार रुपये का अर्थदंड भी जमा करना होगा। इसके अलावा विशेष सत्र न्यायाधीश ने सरकार को नालसा स्कीम के तहत पीड़िता को सात लाख रुपये देने के निर्देश भी दिए हैं।
अभियोजन के अनुसार पीड़िता के माता- पिता की बचपन में ही मौत हो गई थी और वह मौसा रमेश राम पुत्र कमल राम के साथ दन्या के एक गांव में रहती थी। पीड़िता का मौसा लंबे समय से उसके साथ दुष्कर्म करता था। मौसा की हरकतों से तंग आकर इस बात की जानकारी पीड़िता ने 18 जुलाई 2018 को अपनी चाची और अपने भाई को दी। जिसके बाद पीडि़ता के भाई ने इस मामले की प्राथमिकी दन्या थाने में दर्ज कराई। विवेचना के बाद इस मामले में आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया। इस मामले में अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता गिरीश चंद्र फुलारा, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता शेखर चंद्र नैलवाल, विशेष लोक अभियोजक भूपेंद्र कुमार जोशी ने न्यायालय में दस गवाह परीक्षित कराए। लिखित और मौखिक साक्ष्यों पर विचारण के बाद विशेष सत्र न्यायधीश डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा ने अभियुक्त को अंतिम सांस तक आजीवन कारावास और पंद्रह हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। न्यायालय के जेलर को निर्देश दिए हैं अभियुक्त को कारावास के दौरान ऐसे लाभ न दिए जाएं जो अन्य कैदियों को उनके अच्छे व्यवहार के लिए दिया जाता है।
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निर्णय में किया है रामचरित मानस का जिक्र
पॉक्सो एक्ट के इस मामले में दिए निर्णय में विशेष सत्र न्यायाधीश डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा ने तुलसीदास कृत रामचरित मानस की एक चौपाई का भी जिक्र किया है। निर्णय में लिखा गया है कि अनुज वधु, भगनी सुत नारी, सुन सत ये कन्या समचारी। इन्हें कुदृष्टि विलोके जोई, ताहि बधे कछु पाप न होई। विशेष सत्र न्यायधीश ने अपने निर्णय में कहा है कि इस मामले में विधि के शासन के संरक्षण के अनुसार ही अभियुक्त को सजा दी गई है।