Move to Jagran APP

लपटों से लड़ने के लिए अब लगने लगी दौड़

संवाद सहयोगी, रानीखेत : 'गौरा देवी', इन्होंने साथी महिला शक्तियों को साथ लेकर रैणी गांव (ज

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 May 2018 12:08 AM (IST)Updated: Sun, 27 May 2018 12:08 AM (IST)
लपटों से लड़ने के लिए अब लगने लगी दौड़
लपटों से लड़ने के लिए अब लगने लगी दौड़

संवाद सहयोगी, रानीखेत : 'गौरा देवी', इन्होंने साथी महिला शक्तियों को साथ लेकर रैणी गांव (जोशीमठ) का जंगल कटने से बचाने का हुंकार भरी। 'सरला बहन', 'राधा बहन' व 'बसंती बहन', नशाखोरी के साथ पहाड़ की हरियाली एवं पर्यावरण बचाने के लिए माफियाराज से लड़ती रही। खास बात कि पहाड़ की कुछ और महिलाएं हैं, कुछ युवा भी ऐसे हैं जिन्होंने इन्हीं मातृशक्तियों से सीख ले जंगल की हिफाजत का बीड़ा उठा लिया है। पिछले छह दिन से धधक रहे जंगलात की लपटों से निपटने में वन विभाग का सीमित स्टाफ बेबस दिखने लगा तो, इन ग्रामीणों ने सब कुछ छोड़ संकट में पड़े पहाड़ की पहचान यानी जंगल व अस्तित्व दोनों को बचाने के लिए दिन रात एक करना शुरू कर दिया है।

loksabha election banner

============

सूरी की मातृशक्ति को सलाम

सूरी का जंगल लपटों से घिर गया तो महिलाओं ने चूल्हा चौका छोड़ विकराल होती लपटों से लड़ने दौड़ पड़ी। गांव में सक्रिय महिला समूह की सदस्यों के पास बेशक कारगर उपकरण नहीं थे। मगर सटीक घेरा मार हरी पत्तियों वाली टहनियों से एक सिरे से आग बुझानी शुरू की। दूसरे छोर से नुकीले डंडों व अन्य इंतजाम कर जिससे जैसा हो सका, फायर लाइन काट लपटों को और फैलने से रोक लिया। साथ आए बच्चे पसीने से तरबतर मातृशक्ति को पानी पिला हौसला बढ़ाने में जुटे रहे। आखिरकर दस से बीस हेक्टेयर से आगे वन क्षेत्र को और जलने से बचा लिया गया। वन रक्षक आनंद सिंह परिहार ने कहा, महिलाओं के बूते यह संभव हुआ।

===========

एक आवाज में जुटी 12 वन पंचायतें

दूसरा मामला है, अल्मोड़ा मजखाली हाईवे से सटे क्वैराला, कयाला, ज्योली आदि वन क्षेत्रों का। बीती रात्रि अराजकतत्वों ने हाईवे किनारे पड़ा पिरूल जला दिया। शनिवार की सुबह पारा चढ़ने के साथ लपटें एक के बाद दूसरे तमाम वन पंचायतों की सरहदों को पार कर सब कुछ लीलने पर आमादा हो गई। सुखद पहलू यह कि 'जागरण' के एक आह्वान पर अलग अलग दिशाओं से वन पंचायतों के मुखियाओं ने आवाज लगा लगा चारों ओर से घेरा लगाया। तपती दुपहरी में कयाला व क्वैराला के मिश्रित जंगलात को खाक कुरचौन वन पंचायत की ओर बढ़ रही लपटों को मिलजुल कर काबू में कर ही लिया। इससे कई सौ हेक्टेयर जंगलात को नष्ट होने से बचा लिया गया।

===========

इन वन पंचायतों से दौड़े मुखिया

देव सिंह (ज्योली), रघुवर सिंह (कयाला), गढ़वाली (लीलाधर भट्ट), अमर सिंह (पपोली), केशव दत्त (कफलकोट), राजेंद्र जोशी (देवलीखान), जर्नादन जोशी (छानालोद पहाड़), कृपाल सिंह (बडगलभट्ट), दीप चंद्र (कुरचौन), गिरीश शर्मा (ढैली), फायर वॉचर गिरीश कांडपाल, हरीश कांडपाल आदि।

=============

'यह सराहनीय है। वनाग्नि से निपटने में सहयोग देने वाली महिला समूह व वन पंचायतों को प्रोत्साहन के लिए पुरुस्कृत करेंगे। फायर सीजन की शुरुआत में ही हमने वन पंचायतों को करीब 15 लाख रुपये बांटे। स्टाफ की कमी है, इसके बावजूद आग की सूचना पर त्वरित कदम उठा रहे हैं। जंगल बचाने में जनसहयोग बेहद आवश्यक है।

- प्रमोद कुमार, डीएफओ अल्मोड़ा वन प्रभाग'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.