सही और गलत के फर्क को समझकर आगे बढ़ने से मिलती सफलता
द्वाराहाट में स्थित बीटीकेआईटी में छात्रों को तकनीकी रूप से दक्ष और प्रयोगधर्मी बनाने तथा उनमें मानवीय व पेशेवर गुणों के समावेश को लेकर कार्यशाला आयोजित की गई।
द्वाराहाट(अल्मोड़ा), [जेएनएन]: छात्रों को तकनीकी रूप से दक्ष और प्रयोगधर्मी बनाने तथा उनमें मानवीय व पेशेवर गुणों के समावेश को लेकर बिपिन त्रिपाठी कुमाऊं प्रौद्योगिकी संस्थान (बीटीकेआईटी) में तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई। निदेशक प्रो आरके सिंह ने सामाजिक दायित्वों की समझ को विकसित करने तथा कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान का लाभ लेने की अपील की।
तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्यूआईपी-3) के तहत बीटीकेआईटी में एनबीए और एआईसीटीई मेंडेट विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई। जिसका उद्घाटन संस्थान निदेशक प्रो आरके सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने कहा कि उच्च व तकनीकि शिक्षा के छात्रों में स्वमूल्यांकन और उत्तरदायित्व की भावना जागृत होना आवश्यक है। सही और गलत के फर्क को समझ आगे बढ़ने से ही सफलता के द्वार खुलते हैं। जिससे देश और समाज भी उन्नत होता है। प्रो सिंह ने छात्रों से प्रयोगधर्मी बनकर वास्तविक ज्ञान अर्जित करने तथा कार्यशाला से प्राप्त अनुभवों को खुद में आत्मसात करने की भी अपील की।
टीईक्यूआईपी-3 संयोजक डा ज्योति सक्सेना बताया कि छात्रों में अनुशासन और कार्य के प्रति समर्पण की भावना को विकसित करना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है। कहा कि मानवीय गुणों के समुचित विकास से ही स्किल टेक्नोक्रेट बनते हैं, जिसे वर्तमान पीढ़ी को समझना होगा।
कार्यशाला को रजिस्ट्रार डा एससी सरकार, प्रो सत्येंद्र सिंह आदि ने भी संबोधित किया। संचालन कार्यशाला संयोजक डा सचिन गौड़ ने किया। मौके पर प्रो अनिरुद्ध गुप्ता, प्रो अजीत सिंह, डा एसके सिंह, डा आरके पांडे, डा लता बिष्ट, डा ललित गड़िया आदि मौजूद रहे।
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