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पॉलीथिन रोकने को युवक ने बढ़ाया कदम, मातृशक्ति ने दिया साथ

संवाद सहयोगी, रानीखेत : लोगों की जरूरत बन चुकी पॉलीथिन की आदत छुड़ाने को सुदूर धामस (हवा

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 11:04 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 11:04 PM (IST)
पॉलीथिन रोकने को युवक ने बढ़ाया कदम, मातृशक्ति ने दिया साथ
पॉलीथिन रोकने को युवक ने बढ़ाया कदम, मातृशक्ति ने दिया साथ

संवाद सहयोगी, रानीखेत : लोगों की जरूरत बन चुकी पॉलीथिन की आदत छुड़ाने को सुदूर धामस (हवालबाग ब्लॉक) के इस नौजवान की पहल रंग लाने लगी है। युवक ने इसकी शुरुआत खुद के घर से की। फिर पूरे गांव में। मुहिम को मुकाम देने के लिए मातृशक्ति को साथ लिया। कुछ वर्षो का संघर्ष अब पॉलीथिन मुक्त पहाड़ की ओर बढ़ चला है। नतीजा, जनअभियान धामस के घर- घर में लोगों की आदत बदलने के बाद अब पर्यटन नगरी का ध्यान पॉलीथिन से हो रहे नुकसान की ओर खींच रहे।

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बेशक सरकारें पॉलीथिन पर पूर्ण बंदी के लाख दावे करें, मगर कारगर रोक अब भी नहीं लगी है। ऐसे में विविध रंग व स्वरूपों में मिल रहे पॉलीथिन बैग किसी न किसी रूप में पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य को आघात तो पहुंचा ही रहे। मौजूदा ग्लोबल वॉर्मिग व जलवायु परिवर्तन की चुनौती के बीच घातक पॉलीथिन की आदत छुड़ाने को धामस निवासी जगदीश बिष्ट ने जो बीड़ा उठाया, वह एक दशक बाद सुनहरे भविष्य की तस्वीर पेश कर रहा। आज जगदीश की मेहनत से गांव की तमाम महिलाएं समूहों के जरिये जूट के आकर्षक बैग बना रही हैं। अल्मोड़ा जनपद ही नहीं ऊधमसिंह नगर तक बेच आर्थिकी भी मजबूत कर रही हैं। जगदीश कहते हैं यदि समय रहते पॉलीथिन पर रोक न लगाई गई तो पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसीलिए वह जूट के थैले व बैग बना लोगों को इन्हीं के इस्तेमाल को प्रेरित करने में जुटे हैं। यहां रंगोली परिसर में लगी प्रदर्शनी में इस नौजवान का स्टॉल पॉलीथिन छोड़ जूट के थैले थामने का संदेश दे रहा है।

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ये हैं नुकसान

= गिरते भूजल स्तर का बड़ा कारण।

सास व त्वचा संबंधी रोग पांव पसार रहे।

कैंसर का भी खतरा।

लगातार उपयोग से जीवन भर रोगों का संकट।

गर्भस्थ शिशु के विकास में बाधा।

खेतों में जमा होते रहने से उर्वरा शक्ति खत्म होती जा रही।

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जलाने पर ओजोन को भारी क्षति

विशेषज्ञों की मानें तो पॉलीथिन जलाने पर इसका धुआ ओजोन परत को भारी क्षति पहुंचा रहा। कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड व डाईऑक्सींस सरीखी विषैली गैस उत्सर्जित होती हैं। यानी ग्लोबल वॉर्मिंग में पॉलीथिन का अहम रोल। प्लास्टिक के अत्यधिक इस्तेमाल या संपर्क में बने रहने से मानव खून में भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।


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