मां के जयकारों के बीच नंदा की मूर्ति विसर्जित
संवाद सहयोगी चौखुटिया अटूट आस्था व श्रद्धा से जुड़ा जाबर-ताल कोट्यूड़ा का पारंपरिक मा
संवाद सहयोगी, चौखुटिया : अटूट आस्था व श्रद्धा से जुड़ा जाबर-ताल कोट्यूड़ा का पारंपरिक मां-नंदा देवी पूजन महोत्सव मंगलवार को मूर्ति विसर्जन, हवन यज्ञ व भंडारे के साथ ही संपन्न हो गया। इससे सोमवार को जाबर-ताल के नंदा देवी मंदिर परिसर में रात्रि मेला लगा। इस दौरान रात के चार अलग अलग पहरों में मां नंदा समेत अन्य डंगरियों ने देव दर्शन दिए एवं भा संख्या में श्रद्धालुओं ने मा-नंदा की मूर्ति के दर्शन कर उन्हें शीश नवाया।
गेवाड़ की रंगीली धरती में बसे जाबर-ताल कोट्यूड़ा के मां-नंदा देवी मंदिर परिसर में प्रतिवर्ष मां नंदा देवी पूजन मेला मनाने की अनूठी परंपरा है। इस वर्ष यह मेला मुख्य ड्योडी टेड़ागांव में पारंपरिक विधि-विधान के साथ मां का बार भरने व पूजा-पाठ के साथ हुआ। इसके साथ ही न्यौनी, पैली, नौगांव, कोट्यूड़ा, बगड़ी गांवों में भी अखड ज्योति की स्थापना कर मां-नंदा के आह्वान गीत गाए गए। जो रात को लगातार चलते रहे। पूजन महोत्सव के सातवें दिन बीते सोमवार को बगड़ी गांव से नंदा के प्रतीक स्वरूप कदली वृक्ष को जाबर नंदा देवी मंदिर के लिए विदा किया गया तथा शाम को केले के वृक्ष से नंदा की मूर्ति तैयार कर परिसर में पूरी रातभर मेला चलता रहा। इस दौरान दूर दूर से पहुंचे श्रद्धालुओं ने मूर्ति के दर्शन कर पूजा अर्चना की एवं रात के चार अलग-अलग पहरों में मां के आह्वान गीतों के साथ डंगरियों ने देव दर्शन दिए। सुबह विशेष पूजा पाठ के उपरांत हवन-यज्ञ हुआ। अग्नि में सभी देव डंगरियों व यजमानों ने सामूहिक पूर्णाहुतियां दीं। भंडारे केबाद मां-नंदा के जयकारों के बीच मूर्ति विसर्जित कर दी गई। समापन पर मेला संयोजक कुबेर सिंह कठायत ने सहयोग के लिए सभी का आभार व्यक्त किया तथा अगले वर्ष मेले को और भव्य बनाने की बात कही। संचालन आनंद नाथ ने किया।