बद्रेश्वर मंदिर से शुरु हुई थी कुमाऊं की पहली रामलीला
अल्मोड़ा के बद्रेश्वर मंदिर से कुमाऊं की पहली रामलीला की शुरूआत हुई थी।
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा: सांस्कृतिक नगरी के बद्रेश्वर मंदिर से कुमाऊं की पहली रामलीला का आयोजन 1860 में शुरु हुआ। जिसको बाद में त्यूनरा तथा उसके बाद नंदा देवी मंदिर परिसर में किया जाने लगा। जो वर्तमान में भी जारी है। नगर के विभिन्न स्थानों में भी रामलीला का मंचन वर्षो से होता आया है। लेकिन अधिकतर कमेटियों ने कोरोना महामारी को देखते हुए रामलीला मंचन नहीं करने का निर्णय लिया है।
कोरोना के कारण नंदादेवी मंदिर परिसर में आयोजित होने वाली रामलीला को कोरोना से बचाव की गाइडलाइन का पालन करते हुए दस दिन की रामलीला को तीन दिन में कराया जा रहा है। जो नवरात्र के सप्तमी से नवमी तक होगी। वहीं इसको दर्शकों तक पहुंचाने के लिए फेसबुक और अन्य माध्यम से दिखाने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा कर्नाटक खोला में वर्चुअल रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। नगर के हुक्का क्लब, धारानौला, राजपुरा, एनटीडी, सरकार की आली सहित अनेक स्थानों में रामलीला का मंचन लगातार कई वर्षो से किया जा रहा था। लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण अनेक क्षेत्रों की रामलीला समितियों ने एहतियातन रामलीला मंचन नहीं करने का निर्णय लिया। नगर के दो स्थानों में हो रही रामलीला के मंचन के लिए प्रशासन की ओर से भी भीड़ न जुटाने की बात कही गई है। इस कारण इन दो स्थानों में होने वाली रामलीला के मंचन को लाइव देखने का मौका कुछ ही लोगों को मिल सकेगा। नंदा देवी रामलीला के संयोजक प्रकाश पांडे ने बताया कि परंपरा को कायम रखने के लिए रामलीला का मंचन किया जा रहा है। जिसमें कोरोना से बचाव की गाइड लाइन का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
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