पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को शिक्षक संघ मुखर
द्वाराहाट नई पेंशन योजना को समाप्त करने की शिक्षकों ने की मांग।
संवाद सहयोगी, द्वाराहाट : 2005 के बाद नियुक्त लोकेसेवकों के लिए लागू पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू करने की माग को लेकर कई सरकारी संगठन मुखर हो गए हैं। शेयर बाजार पर आधारित नई पेंशन योजना को कर्मचारियों व शिक्षकों के हितों के खिलाफ बताते हुए इसे लागू न करने की पुरजोर मांग की। कहा योजना लागू होने से शिक्षकों को भविष्य में भारी दिक्कतों का सामना करना पडे़गा।
उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के अलावा अन्य संगठनों ने पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आदोलन के बैनर तले शनिवार को बैठक की। इसके बाद उप जिलाधिकारी आरके पाडे को ज्ञापन सौंपा। जिसमें एक अक्टूबर 2005 से लागू पेंशन योजना को कर्मचारियों, शिक्षकों तथा अधिकारियों के लिए असुरक्षित बताया। कहा कि नई पेंशन योजना से सेवानिवृत्ति के पश्चात जीवन यापन सहित अन्य जिम्मेदारियों को निभाने के लिए यह योजना बिल्कुल भी कारगर नहीं। शेयर बाजार पर आधारित इस योजना के दुष्परिणाम झेलने की पीड़ा उन्हें सताए जा रही है। पुरानी योजना को लाभकारी बताते हुए कहा गया कि इसके तहत जीपीएफ के रूप में जमा धनराशि का उपयोग लोकसेवक अपने दायित्वों की पूर्ति के लिए ऋण लेकर भी कर लेते थे। ज्ञापन सौंपने वालों में माध्यमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष गणेश भट्ट, मोहन जोशी, भावना हर्बोला, सोनिका नेगी, अर्चना बुधानी, मीना मेहरा, फरीन रानी, अर्चना बुधानी, आशा आर्या, सुनीता त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
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पुरानी पेंशन योजना जल्द बहाल करे सरकार
अल्मोड़ा : चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी महासंघ ने कर्मचारियों के लंबे अरसे से रिक्त पड़े पदों पर नियुक्ति करने तथा पुरानी पेंशन योजना को बहाल किए जाने की मांग उठाई है। संगठन की विकास भवन परिसर में हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि विभिन्न राजकीय विभागों में कर्मचारियों के दर्जनों पद खाली पड़े हैं। इससे कार्यरत कर्मचारियों को अतिरिक्त कार्य के लिए जूझना पड़ रहा है। बैठक में सेवारत व सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लंबित प्रकरणों का निस्तारण जल्द किए जाने जाने पर जोर दिया गया। कहा गया कि यदि जल्द समस्याओं के निराकरणनहीं किया तो कोरोना संक्रमण की स्थिति सामान्य होने के बाद आंदोलन कको बाध्य होंगे। बैठक में महासंघ के जिलाध्यक्ष ललित तिवारी, राकेश, गंगा दत्त, राजेश कुमार आदि मौजूद रहे।