खास त्योहारों में शुमार है वसंत पंचमी पर्व
संवाद सहयोगी, चौखुटिया: उत्तराखंड की धरती में फसलों व ऋतुओं के अनुसार तीज-त्योहार मन
संवाद सहयोगी, चौखुटिया: उत्तराखंड की धरती में फसलों व ऋतुओं के अनुसार तीज-त्योहार मनाए जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। निर्धारित समय पर मनाए जाने वाले ये पर्व व त्योहार यहां के सामान्य जनजीवन में नया उत्साह व उमंग भर देते हैं। इन्हीं में एक प्रमुख त्योहार है-वसंत पंचमी। जो ऋतुराज बसंत के आगमन का एहसास दिलाता है एवं इस दिन सुख-समृद्धि के लिए मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
यूं तो बसंत पंचमी पूरे देश में मनाई जाती है, लेकिन उत्तराखंड में इसका कुछ अलग ही रंग देखने को मिलाता है। इस पावन पर्व के मौके पर पीले वस्त्र धारण करने का रिवाज है। जो न केवल वसंत ऋतु का द्योतक है अपितु सरस्वती की आराधना का भी पर्व माना जाता है। त्योहार पर मां सरस्वती की पूजा अर्चना होती है तथा घर-घर में विशेष पकवान तैयार कर त्योहार की रस्म अदा की जाती है।
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त्योहार को कुछ इस तरह मनाने की परंपरा है
इस बार वसंत पंचमी 22 जनवरी को मनाई जा रही है। इस दिन खेतों से जौ के पौधों को उखाड़ कर लाया जाता है। जिन्हें घर में पंडित द्वारा पतेसा जाता है। पूजा अर्चना के बाद उन्हें दरवाजों पर रोपित करने की परंपरा है तथा सिर में रखने की भी परंपरा है। घर के मुखिया द्वारा कुछ इस तरह आशीर्वाद दिया जाता है-जी रयै जागि रयै, यो दिन यो मास नित-नित भेंटन रयै.।
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बहन-बेटी के पावन रिश्ते का भी प्रतीक है
वसंत पंचमी के पर्व को बहन-बेटी के पावन रिश्ते के रूप में भी मनाया जाता है। त्योहार की रस्म को निभाने को ससुराल से बहन या बेटी अपने मायके पहुंचती है। या फिर मां-बाप बेटी के पास जाकर उसके दीर्घायु होने की कामना करते हैं तथा जौ के पौधे व विशेष पकवान भेंट करते हैं।