Move to Jagran APP

शाक-भाजी की पौध बन रही आजीविका का जरिया

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : पर्वतीय अंचल में इन दिनों शाक-भाजी की पौध के साथ ही बीज विक्रय क

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 10:10 AM (IST)Updated: Wed, 25 Apr 2018 10:10 AM (IST)
शाक-भाजी की पौध बन रही आजीविका का जरिया
शाक-भाजी की पौध बन रही आजीविका का जरिया

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : पर्वतीय अंचल में इन दिनों शाक-भाजी की पौध के साथ ही बीज विक्रय काश्तकारों की आजीविका का जरिया बना है। जिला मुख्यालय के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के काश्तकार अपनी नर्सरी में उगाए गए इन नन्हे पौधों को विक्रय के लिए ला रहे हैं। इन पौधों के साथ ही शाक-भाजी के अन्य बीजों को बेच कर अपनी आजीविका चला रहे हैं।

prime article banner

जिले के विभिन्न विकास खंडों हवालबाग, ताकुला, द्वाराहाट, चौखुटिया, भिकियासैंण, स्याल्दे, सल्ट, ताड़ीखेत, लमगड़ा, धौलादेवी, भैसियाछाना में पतली मिर्च का उत्पादन बहुतायत से होता है। वहीं इन दिनों शिमला मिर्च तथा बैंगन के पौधों का भी रोपण किया जाता है। इसी के मद्देनजर जिला मुख्यालय के समीपवर्ती गांवों के काश्तकार अपनी नर्सरी में तैयार इन पौधों को विक्रय के लिए ला रहे हैं। सालों से मिर्च, शिमला मिर्च व बैंगन के पौधों की बिक्री कर रहे जिला मुख्यालय के समीपवर्ती ग्राम बल्टा के बलवंत सिंह ने बताया कि वह प्रतिदिन करीब 80 गड्डी मिर्च, शिमला मिर्च तथा बैंगन की पौध बेच लेते हैं। इससे वह प्रतिदिन 800 रुपये कमा लेते हैं। सीजन के दौरान इसी से आजीविका चलाते हैं। इसी प्रकार अन्य पौध विक्रेताओं राजेंद्र सिंह, किसन सिंह तथा साधू कुमार का कहना था कि वह भी सब्जी के पौधों की बिक्री कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। पौधों के साथ ही इन काश्तकारों द्वारा सब्जियों के बीजों जैसे मूली, लाही, भिंडी, तोरई, लौकी, कद्दू व ककड़ी वगैरह के बीजों का भी विक्रय किया जा रहा है।

------------

जनवरी-फरवरी में तैयार की जाती है नर्सरी

अल्मोड़ा: पहाड़ में जनवरी व फरवरी माह में मिर्च, शिमला मिर्च तथा बैंगन की नर्सरी के लिए कुछ वर्गमीटर का खेत तैयार किया जाता है। फिर इसमें बीजारोपण किया जाता है। करीब दो माह के बाद यह पौध रोपण के लिए तैयार होते हैं।

-------------

काश्तकारों के हितों के लिए विभाग व शासन गंभीर है। काश्तकारों को बीज व कीटनाशक दवा 60 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही सब्जी उत्पादकों को समय-समय पर बेहतर उत्पादन का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

-हितपाल सिंह, मुख्य उद्यान अधिकारी, अल्मोड़ा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.