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श्रीराम कथा संपन्न, भावविभोर वातावरण के बीच विदा हुए बापू

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: नौ दिन तक चली मानस श्री की कथा के समापन अवसर पर रविवार को भक्ति

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Apr 2018 08:34 AM (IST)Updated: Mon, 30 Apr 2018 08:34 AM (IST)
श्रीराम कथा संपन्न, भावविभोर वातावरण के बीच विदा हुए बापू
श्रीराम कथा संपन्न, भावविभोर वातावरण के बीच विदा हुए बापू

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: नौ दिन तक चली मानस श्री की कथा के समापन अवसर पर रविवार को भक्ति व भावविभोर कर देने वाले वातावरण के बीच मोरारी बापू ने कथा को अंतिम सोपान तक पहुंचाया। श्री कल्याणिका

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हिमालय देवस्थानम न्यास कनरा डोल के संस्थापक बाबा कल्याणदास जी की तरफ से मोरारी बापू को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र भेंट कर उनको औपचारिक विदाई मंच पर दी गई।

श्रीराम कथा के अंतिम सोपानों का वर्ण करते हुए मोरारी बापू ने सेतुबंध, प्रभु श्रीराम-रावण के युद्ध का वर्णन सुनाया। उन्होंने कहा कि मानस की व्याख्या कभी खत्म नहीं होती। एक-एक चौपाई व छंद में गूढ़ अर्थ है। इसको समझना कठिन है। मोरारी बापू ने कहा कि हिमालय की गोद में बसे इस निर्जन जंगल में श्रीयंत्र की स्थापना का फल है कि यहां पर श्रीराम कथा को सुनाने का अवसर उनको मिला। वह बार-बार यहां पर आकर मानस की कथा सुनाना चाहेंगे। ऐसे शांत वातावरण के बीच इतने मन से सुनने वाले श्रोता कम ही मिलते हैं। बापू ने कहा कि तुलसीदास जी ने लिखा है यदि किसी के घर जाने से उसका मन आपको देखकर हर्षित नहीं होता, आंखों में प्यार नहीं झलकता। वहां कदापि नहीं जाना चाहिए। चाहे वहां सोना ही क्यों न बरस रहा हो। अर्थात अतिथि को सत्कार की भूख होती है। वह स्नेह व समर्पण यहां के रहने वालों ने मुझको दिया है। कथा के समापन पर विधायक गो¨वद ¨सह कुंजवाल, पूर्व विधायक मनोज तिवारी, मनोज रावत, रमेशचंद्र मलकानी, स्वामी विश्वेश्वरानंद, महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद ने उन्हें विदाई दी।


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