घले के अदम्य साहस को रखा जाएगा याद
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : स्व. कैप्टन गजे घले के योगदान और अदम्य साहस को कभी नहीं भुलाय
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : स्व. कैप्टन गजे घले के योगदान और अदम्य साहस को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। देश की रक्षा के लिए उन्होंने जो बलिदान दिया वह देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।
यह बात जिलाधिकारी नितिन भदौरिया ने छावनी परिषद में कैप्टन स्व गजे घले की मूर्ति के अनावरण के दौरान कही। उन्होंने कहा कि घले द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वास ईस्ट हिल, चिनहिल और वर्मा में जिस साहस का परिचय दिया उसके लिए ब्रिटिश सरकार ने 24 और 27 मई 1943 को उन्हें सर्वोच्च पुरस्कार से नवाजा गया। जिलाधिकारी ने कहा कि घले 2/5 गोरखा रेजीमेंट में कार्यरत थे और इसी रेजीमेंट को विक्टोरिया क्रास प्राप्त हुआ था। भदौरिया ने कहा कि तमाम सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद भी उन्होंने अल्मोड़ा में ही रहना पसंद किया। उन्होंने कहा कि उनके जीवन से युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए और पलायन को रोकने के लिए पूरे पूरे प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के वीर जवानों को प्रतिवर्ष इसी तरह याद किया जाना चाहिए।
इस मौके पर छावनी परिषद के उपाध्यक्ष जंग बहादुर थापा, सदस्य विनीता लखचौरा, हरीश जोशी, प्रेम सिंह सांगा, डंबर घले, टारस घले, केशर घले, प्रताप घले समेत अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।