अब अत्याधुनिक जीआइएस तकनीक पर होंगे काम
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा हिमालयी राज्य में बहुत जल्द अत्याधुनिक भौगोलिक सूचना विज्ञान (जीआइएस) तकनी
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा
हिमालयी राज्य में बहुत जल्द अत्याधुनिक भौगोलिक सूचना विज्ञान (जीआइएस) तकनीक पर कामकाज शुरू हो जाएगा। जी-गवर्नेस में कदम रख चुके पर्वतीय राज्य में विकास कार्यो की मॉनीटरिंग, बेहतर प्रशासन, नियोजन व मानव संसाधन जुटाने के लिए जीआइएस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसे विकसित कर मूर्तरूप देने के लिए कोसी पुनर्जनन महाभियान के जरिये अल्मोड़ा जनपद को देश में पहला स्थान दिलाने वाले नेशनल जियो स्पेशल चेयरप्रोफेसर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (भारत सरकार) प्रो. जीवन सिंह रावत को उत्तराखंड सरकार का मानद सलाहकार नियुक्त किया गया है।
जीवनदायिनी कोसी को पुनर्जीवित करने के लिए पिछले ढाई दशक से शोध में जुटे प्रो. को हिमालयी प्रदेश में अत्याधुनिक जीआइएस तकनीक को बढ़ावा देने का श्रेय भी जाता है। एसएसजे परिसर अल्मोड़ा (कुमाऊं विवि) स्थित नेशनल रिसोर्स डाटा मैनेजमेंट इन उत्तराखंड (एनआरडीएमएस) में बतौर निदेशक प्रो. रावत की पहल पर ही यूकॉस्ट के साथ मिल राज्य स्तरीय जियो पोर्टल का ढाचा तैयार किया गया है। ताकि विषम भौगोलिक हालात व भूगर्भीय लिहाज से नाजुक पर्वतीय राज्य में आपदा से निपटने, बेहतर प्रबंधन, नियोजन आदि में जीआइएस तकनीक मददगार साबित हो सके।
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तीन माह का एक्शन प्लान तैयार
बीते रोज देहरादून में सचिव नियोजन अमित सिंह नेगी के निर्देशन में जीआइएस तकनीक को विकसित कर संचालन के मकसद से 14 प्रमुख विभागाध्यक्षों की अहम बैठक हुई। इसमें प्रो. रावत ने प्रदेश के जियो पोर्टल के संचालन की बारीकियों का प्रशिक्षण दिया। जीआइएस विकसित कर उनके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी तय की गई। सचिव नियोजन के निर्देशन में तीन माह का एक्शन प्लान भी तैयार किया गया है। ताकि जी-गवर्नेस पर काम शुरू किया जा सके। प्रमुख सचिव उत्पल कुमार सिंह ने प्रो. रावत को जीआइएस तकनीक विकसित कर संचालन आदि के लिए उत्तराखंड सरकार के नियोजन विभाग में मानद सलाहकार नियुक्त किया है।
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ऐसे जी-गवर्नेस की ओर बढ़ा राज्य
= वर्ष 2003 में एनआरडीएमएस का एसएसजे परिसर में केंद्र खोला, अल्मोड़ा का जीआइएस मॉडल तैयार।
= वर्ष 2012 में जीआइएस सेंटर का उच्चीकरण, राज्य स्तरीय सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन उत्तराखंड बना।
= यूकॉस्ट के साथ मिल उत्तराखंड जियो पोर्टल का काम शुरू।
= वर्ष 2018 तक उत्तराखंड जियो पोर्टल का ढांचा तैयार
= हरेक जिला मुख्यालयों पर डेटाबेस तैयार जनरदीय जीआइएस सेल गठित। अब राज्य का अपना जियो पोर्टल तैयार।
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'उत्तराखंड का अपना जियो पोर्टल तैयार होने के बाद राज्य में सभी कार्य जीआइएस आधारित होंगे। इससे विकास कार्यो पर पैनी नजर रखी जा सकेगी। भविष्य में पर्वतीय राज्य को इस तकनीक की सख्त जरूरत है। खासतौर पर आपदा से निपटने में हम सक्षम हो जाएंगे।
- प्रो. जीवन सिंह रावत, नेशनल जियो स्पेशल चेयरप्रोफेसर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी'