बहुमूल्य वन सम्पदा को स्वाहा कर रहा दावाग्नि का बारूद 'पिरूल'
गणेश पाण्डेय, दन्यां: जंगलों में जमा हो रहा पिरूल का ढेर गर्मी के मौसम में वन संपदा को नष्ट
गणेश पाण्डेय, दन्यां: जंगलों में जमा हो रहा पिरूल का ढेर गर्मी के मौसम में वन संपदा को नष्ट करने में बारूद का काम करता है। इस वर्ष जाड़ों में बारिश न होने से फरवरी माह से ही जंगलों में चीड़ की सूखी पत्तियों का विस्फोटक ढेर वर्तमान में भयानक रूप धारण कर चुका है। वनाग्नि की घटनाओं में बारूद की तरह काम करने वाले इस पिरूल का उचित प्रबंधन न होने से प्रतिवर्ष हजारों हेक्टेअर वन जलकर राख हो रहे हैं।
गर्मियों में चीड़ के पेड़ों की पत्तियां सूखकर जमीन में गिरने लग जाती है। लीसे की तासीर से भरा यह पिरूल वनाग्नि की घटनाओं में बारूद सदृश्य होता है। यही नहीं चीड़ के ढेर जलने के बाद इस कदर पहाड़ियों में फिसलते हैं कि एक जंगल से दूसरे जंगल में दावाग्नि के फैलने में कुछ ही मिनट लगते हैं। विकासखंड धौलादेवी के जंगलों में हाल की बारिश के बाद जमा हो रहे पिरूल को लेकर वन पंचायत सरपंचों ने चिंता जाहिर करते हुए फायर सीजन में वनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक संसाधन विभाग द्वारा जब तक मुहैया नहीं कराये जाते हैं तब तक ग्रामीणों का प्रयास सफल नहीं हो पाएगा। उन्होंने वन पंचायतों और स्थानीय निकायों को समय समय पर प्रशिक्षण देकर वनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक संसाधन समय पर मुहैया कराने की मांग की है। क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों को कहना है कि स्थानीय लोगों को उनकी व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए नियमों में ढील दिये जाने की भी नितांत आवश्यकता है।
====================== गरम घाटी में स्थित चीड़ के जंगलों में प्रतिवर्ष काफी मात्रा में जमा हो रहे पिरूल का उचित प्रबंधन वन विभाग अभी तक नहीं कर पाया है। वन पंचायतों द्वारा वनों की सुरक्षा के लिए तैयारी की जा रही सूक्ष्म परियोजनाओं पर गंभीरता पूर्वक कार्य किये जाने की आवश्यकता है।
- गणेश जोशी, ब्लॉक को ऑर्डिनेटर वन पंचायत, धौलादेवी