प्राण चिकित्सा पद्धति से रूबरू हुए लोग
संवाद सहयोगी अल्मोड़ा एसएसजे परिसर के योग शिक्षा विभाग के तत्वावधान में चल रही कार्यशाला
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : एसएसजे परिसर के योग शिक्षा विभाग के तत्वावधान में चल रही कार्यशाला के पांचवें रोज प्रतिभागी प्राण चिकित्सा पद्धति से रूबरू हुए। इसमें उन्हें बताया गया कि प्राण का प्रवाह कम होने पर शरीर रोगमय हो जाता है। कार्यशाला के तहत शुक्रवार को नव योग चिकित्सा के बारे में जानकारी दी जाएगी।
विभिन्न वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों का चिकित्सकीय अनुप्रयोग विषय पर चल रही कार्यशाला में गुरुवार को प्रतिभागियों को प्राण चिकित्सा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही उन्हें दूरस्थ प्राण चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया गया। प्राण चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. ऊषा जायसवाल ने बताया कि प्राण ब्रह्मांड में है, कहा कि यदि शरीर में प्राण की कमी हो जाए तो वह रोगमय होने लगता है। उन्होंने बताया कि प्राण चिकित्सा द्वारा दूर स्थित व्यक्ति की भी चिकित्सा की जाती है। प्राण ऊर्जा लेने की अनेक विधियां हैं। पृथ्वी से भी प्राण ऊर्जा प्राप्त की जाती है। वहीं डॉ. राकेश जायसवाल ने कहा कि प्राण चिकित्सा पद्धति एक दिव्य अलौलिक प्रक्रिया है। जिससे हम अपने आभामंडल को बढ़ा सकते हैं। कार्यशाला संयोजक डॉ. नवीन भट्ट ने बताया कि कार्यशाला के माध्यम से प्रतिभागियों को दक्ष किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को प्रतिभागियों को नवयोग चिकित्सा पद्धति की जानकारी दी जाएगी। नवयोग हिलिंग के लिए केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सदस्य मौजूद रहेंगे। इस दौरान डॉ. प्रेम प्रकाश पांडे, डॉ. लल्लन कुमार सिंह, डॉ. आशा राणा, हेमलता अवस्थी, विरेंद्र सिंह, मनोज गिरी, सुमित चौधरी, दीपिका अधिकारी व चंदन सिंह समेत दर्जनों प्रतिभागी मौजूद रहे।