प्रतिभागियों को नादयोग के सिखाए गए गुर
संवाद सहयोगी अल्मोड़ा एसएसजे परिसर के योग शिक्षा विभाग में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति पर चल रह
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : एसएसजे परिसर के योग शिक्षा विभाग में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति पर चल रही कार्यशाला शुक्रवार को भी जारी रही। शुक्रवार को इस कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभागियों को नादयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई और उसके फायदों के बारे में भी बताया।
योग शिक्षा विभाग में चल रही कार्यशाला को संबोधित करते हुए दिल्ली से पहुंचे नैचरोपैथी साइंस के निदेशक डॉ. नवदीप जोशी ने बताया कि नाद के बिना गीत, स्वर और राग आदि कुछ भी संभव नहीं है। डॉ. जोशी ने बताया कि वर्तमान में जीने की कला नवयोग है। उन्होंने बताया कि दुखों और कष्टों से मुक्ति का उपाय ही जीने की कला की कला है। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को व्यक्तित्व निर्माण के बारे में भी जानकारी दी गई। कार्यशाला के संयोजक डॉ. नवीन भट्ट ने बताया कि हमारा मन बार बार वाह्य विषयों के संपर्क में आने से प्रभावित होता रहता है। इसी से हमें सुख और दुख की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा कि यदि मानव अपनी शांति और स्थिरता से अपने भीतर की आवाज को सुनने का प्रयास करता है तो वह सभी दुखों से मुक्ति पा सकता है। शुक्रवार को आयोजित कार्यशाला में प्रेम प्रकाश पांडे, लल्लन कुमार सिंह, हेमलता अवस्थी, ललित जोशी, चंदन बिष्ट, मनोज गिरि, गौरव पांडे, ललित मोहन, ऋतु पांडे, पवन जोशी, संदीप नयाल, प्रियंका जोशी, नेहा बिष्ट समेत अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।