शवदाह स्थल बनाए जाने पर भड़के पंचायत प्रतिनिधि
रिश्कन घाटी संघर्ष समिति तथा क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों ने रिश्कन में शवदाह गृह बनाए जाने का विरोध किया जा रहा है।
संवाद सहयोगी, द्वाराहाट : रिश्कन घाटी संघर्ष समिति तथा क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों ने रिश्कन नदी पर कोरोना शवदाह स्थल बनाए जाने का विरोध किया है। कहा कि ग्रामीण इस नदी के पानी का पीने व अन्य कायरें में उपयोग करते हैं। इस शवदाह स्थल को तत्काल नहीं हटाए जाने पर ग्रामीणों ने आदोलन की चेतावनी दी है।
बुधवार को रिश्कन घाटी संघर्ष समिति व पंचायत प्रतिनिधियों ने बैठक कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। बाद में तहसील के माध्यम से जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजा। जिसमें प्रशासन द्वारा कोविड-19 से ग्रसितों का अंतिम संस्कार करने के मकसद से रिश्कन नदी पर शवदाह स्थल बनाए जाने पर रोष जताया गया। कहा कि रिश्कन नदी के पानी को निचले इलाकों में रहने वाले ग्रामीण पीने तथा अन्य कायरें में नियमित रूप से प्रयोग करते हैं। शवदाह स्थल बना दिए जाने से पूरे क्षेत्र में इस महामारी के फैलने की आशका है। ऐसे में प्रशासन की मंशा कोरोना के संक्त्रमण को रोकने की नहीं वरन इसे अधिक फैलाने की महसूस होती है। जिसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ग्रामीणों ने शवदाह स्थल को नदी से न हटाने पर आदोलन की चेतावनी दी है। ज्ञापन भेजने वालों में संघर्ष समिति अध्यक्ष हरवंश बिष्ट, क्षेत्र पंचायत सदस्य जगदीश बुधानी, ग्राम प्रधान क्रमश: देवकी देवी, प्रशात सिंह, सीनू आर्या, पंकज तिवारी के अलावा नवीन काडपाल, प्रकाश राम, जीसी आर्या, ओम काडपाल आदि मौजूद रहे।
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'कहीं न कहीं कोविड-19 शवदाह स्थल बनाना ही था। बहुत दूर तक आबादी न होने तथा कुछ दूरी पर मुख्य शवदाह स्थल होने के कारण ही उस स्थान को चुना गया है। कोरोना पीड़ितों का अंतिम संस्कार प्रशासन की देखरेख में पूरे नियमों के साथ होता है। फिर भी ग्रामीणों को विश्वास में लिया जाएगा।
- लीना चंद्रा, नायब तहसीलदार द्वाराहाट'