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अब तितरमुची के प्रवासियों ने श्रमदान से आसान की गांव की राह

महासंकट की इस घड़ी में पहाड़ लौटे प्रवासियों ने अपने-अपने गांव में रास्ता बना दिया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 10:30 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 10:30 PM (IST)
अब तितरमुची के प्रवासियों ने श्रमदान से आसान की गांव की राह
अब तितरमुची के प्रवासियों ने श्रमदान से आसान की गांव की राह

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : महासंकट की इस घड़ी में पहाड़ लौटे प्रवासियों ने अपने-अपने गांवों में बुनियादी सुविधाओं के लिए जद्दोजहद शुरू कर दी है। हवालबाग ब्लॉक स्थित गुरना के बाद अब इसी विकासखंड के तितरमुची गाव के प्रवासी मिसाल बन गए हैं। उन्होंने लॉकडाउन में श्रमदान कर गांव तक पहुंचने वाली एक किमी लंबी पगडंडी को दुरुस्त कर अच्छे-खासे पैदल रास्ते की शक्ल दे दी है। उसे बाइक से आने-जाने लायक बना लिया है। पलायन से बेजार हवालबाग के तितरमुची गाव में पिछले कुछ दिनों से प्रवासियों के रिवर्स माइग्रेशन सिलसिला जारी है।

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दोबारा लौटे तो जागी पक्के मार्ग की ललक

जिस पगडंडी से होकर वह कभी स्कूल या बाजार आते जाते थे, वर्षो बाद उसी से होकर जब ये प्रवासी दोबारा गाव पहुंचे तो उन्हें लगा कि बुनियादी जरूरत पहले चाहिए। इसी मंशा के साथ उन्होंने जगह जगह क्षतिग्रस्त पगडंडी को दुरुस्त कर ठीकठाक मार्ग बनाने की योजना बनाई। तय हुआ कि बगैर सरकारी मदद के वह स्वयं श्रमदान कर इसे संवारेंगे। दृढ़ इच्छाशक्ति ने काम कर दिखाया। और अब वही एक किमी लंबी दुरुह पगडंडी ने अच्छेखासे पैदल मार्ग की शक्ल ले ली है। इस पर बाइक भी ले जाई जा सकती है। बताते चलें कि हालिया हवालबाग ब्लॉक के ही गुरना गांव के प्रवासियों ने श्रमदान कर गांव की एक किमी लंबी पगडंडी को दोपहिया वाहनों के आने जाने लायक बना तंत्र को आइना दिखाया था।

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नौ वर्ष में तय न हो सका तीन किमी का सफर

तितरमुची गाव को सड़क से जोड़ने के लिए वर्ष 2011 में तत्कालीन विधायक अजय टम्टा ने घोषणा की थी। लोनिवि ने तीन किमी लंबे मार्ग के लिए 3.23 करोड़ का एस्टीमेट शासन को भेजा। पर वित्तीय स्वीकृति न मिल सकी। पूर्व प्रधान ललित तिवारी ने बताया कि विभाग हर वर्ष शासन को पुनरीक्षित आगणन भेज रहा। मगर बजट का अभाव रोड़ा बन रहा।

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तीन गावों को मिलता लाभ

ग्रामीणों ने तितरमुची गांव को सड़क से जोड़ने का जब प्रस्ताव विभाग को भेजा, तो उसमें दो अन्य गांव डांगीखोला व क्वैराला को भी शामिल कराया। गोविंदपुर से सड़क का निर्माण होना था जो अब तक सपना ही है।


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