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ग्रामीण ही नहीं मवेशी भी बेहतर स्वास्थ्य सेवा को तरसे

पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रामीण हों या पशु किसी को स्वास्थ्य सुविधा ठीक से उपलब्ध नहीं हो रही है। इससे लोगों में आक्रोश है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 07:03 PM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 07:03 PM (IST)
ग्रामीण ही नहीं मवेशी भी बेहतर स्वास्थ्य सेवा को तरसे
ग्रामीण ही नहीं मवेशी भी बेहतर स्वास्थ्य सेवा को तरसे

संस, धौलछीना (अल्मोड़ा) : पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रामीण हों या पशुधन। दोनों के लिए स्वास्थ्य सेवा बेहाल है। जिले में 1.25 लाख पशुपालक हैं। उनके मवेशियों को बेहतर उपचार के लिए पशुधन प्रसार अधिकारियों के 104 पद सृजित हैं। मगर 61 पद रिक्त पड़े हैं। ऐसे में दूर गांवों के पशुपालकों के लिए मवेशियों का टीकाकरण चुनौती बन गया है। कनारीछीना स्थित पशुसेवा केंद्र ताजा उदाहरण है। वहां एक दशक से स्थायी पशुधन प्रसार अधिकारी नसीब नहीं हो सका है।

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कनारीछीना में पशुसेवा केंद्र की बदहाली पर रीठागाढ़ी दगड़ियों संघर्ष समिति मुखर हो उठी है। विभाग ने हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एक अधिकारी भेजा है पर उस पर तीन अन्य केंद्रों का भी जिममा है। ऐसे में रीठागाढ़ पट्टी के लिंगुड़ता, नौगाव, कुनखेत, मंगलता, रौयत, हटौला, रीम, पतलचौरा, जमराड़ी आदि गांवों के पशुपालक खासे परेशान हैं। उन्हें मवेशियों की जान जोखिम में डाल इलाज, गर्भाधान या प्रसव के लिए धौलछीना आदि केंद्रों के चक्कर काटने पड़ते हैं।

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आंदोलन की रणनीति तय

समिति की बैठक में अध्यक्ष प्रताप सिंह नेगी ने दो टूक कहा कि पशुसेवा केंद्र की बदहाली दूर न होने पर आंदोलन किया जाएगा। इस मौके पर बालम सिह बानी, मनोज सिंह जड़ौत, कुशाल सिंह डसीला, बीडीसी मंगल रावत, भगवान रावल, ग्राम प्रधान धरम सिंह, वीरेंद्र बिष्ट आदि आदि मौजूद रहे।

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'कनारीछीना पशुसेवा केंद्र में सल्लाभाटकोट के पशुधन प्रसार अधिकारी व्यवस्था देख रहे हैं। जिले में 61 पद खाली पड़े हैं। निदेशक व अपर निदेशक कार्यालय को अवगत कराया गया है। शासन स्तर से हरी झंडी मिलने पर ही नई नियुक्तियां होंगी।

- रवींद्र चंद्रा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी'

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सेराघाट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला चिकित्सक ही नहीं

= दूर गांवों में गर्भवती महिलाओं को सहनी पड़ रही पीड़ा संसू, धौलछीना (अल्मोड़ा) : सेराघाट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला चिकित्सक ही तैनात नहीं है। ऐसे में दूर गांवों में खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को खासी परेशानी झेलनी पड़ती है। लैब तकनीशियन का पद भी अरसे से खाली है।

रीठागाढ़ी दगडि़यों संघर्ष समिति कई बार महापंचायत के जरिये विधायक से लेकर उच्चाधिकारियों को समस्या गिना चुके हैं। मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही। समिति अध्यक्ष प्रताप सिंह के अनुसार स्वास्थ्य केंद्र में नर्स व एएनएम के भरोसे प्रसव कराया जा रहा। गंभीर मामलों में गर्भवती महिलाओं को 60 किमी दूर जिला मुख्यालय ले जाना पड़ता है। ऐसे में जान का खतरा बना रहता है। उन्होंने क्षेत्र में महिला चिकित्सक व लैब तकनीशियन की तैनाती की पुरजोर मांग उठाई। चेतावनी दी कि यदि जल्द मांग पूरी न हुई तो जनांदोलन किया जाएगा। इस मौके पर समाजसेवी मनोज सिह, बीडीसी मंगल सिंह, ग्राम प्रधान गीता चम्याल, पूर्व प्रधान कैलाश चम्याल, ग्राम प्रधान पूजा आर्या, च्येष्ठ प्रमुख रेखा पाडे, लीला पाडे, हिमा भट्ट आदि मौजूद रहीं।


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