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प्रदेश के पांच जिलों में आकार लेंगे नए चाय बागान

अल्मोड़ा में हिमालयी राज्य में टी-टूरिज्म के साथ चाय बागान भी अब पर्यटकों को लुभाते नजर आएंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 11:01 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 11:01 PM (IST)
प्रदेश के पांच जिलों में आकार लेंगे नए चाय बागान
प्रदेश के पांच जिलों में आकार लेंगे नए चाय बागान

दीप सिंह बोरा, अल्मोड़ा

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हिमालयी राज्य में टी-टूरिज्म के साथ किसानों की खुशहाली को एक और कदम बढ़ा दिया गया है। ग्रामीणों की जमीन के साथ उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड (यूटीडीबी) राजकीय उद्यानों में भी चाय बागान विकसित करने जा रहा है। सुखद पहलू यह कि उत्तराखंड के पांच जनपदों में चुने गए भूभाग की मिट्टी हालिया लैब परीक्षण में चाय की खेती के लिए माकूल पाई गई है। उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल की दिलचस्पी पर बोर्ड के प्रस्ताव पर बागान विकसित करने की दिशा में कसरत तेज हो गई है। इस योजना से प्रवासियों को भी जोड़ा जाना है।

धार्मिक स्थलों के साथ ही राज्य के चाय बागानों को पर्यटन से जोड़ आजीविका व आर्थिकी विकास को बनी योजना को धरातल पर आकार देने के लिए प्रदेश स्तर से तैयारी तेज हो गई है। अल्मोड़ा में गरुड़ाबाज व दूनागिरि, चंपावत, नैनीताल में रामगढ़, चमोली नारायण बगड़ थराली, टिहरी में चंबा वैली की मिट्टी चाय की खेती के लिहाज से उम्दा पाई गई है। वहीं पांच जनपदों में मौजूद राजकीय उद्यानों की मृदा भी उपयुक्त मिली है। यानी पांचों जिलों में 268.47 हेक्टेयर क्षेत्रफल में नए चाय बागान विकसित होंगे।

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इन राजकीय उद्यानों में बनेंगे बागान

= अल्मोड़ा : राजकीय पौधालय पटौरिया धौलादेवी (44.19 हेक्ट), गरुड़ाबांज (11.8 हेक्ट) व दूनागिरि द्वाराहाट (103.6 हेक्ट)

= चंपावत : राजकीय उद्यान मुडियानी (3.4 हेक्ट), राजकीय पौधालय दिगारीचौड़ व खतेड़ा लोहाघाट (3.27 हेक्ट)

= नैनीताल : राजकीय उद्यान फार्म (73 हेक्ट) व गागर मल्ला रामगढ़ (10.5 हेक्ट)

= चमोली : राजकीय उद्यान पंथी नारायणबगड़ (1.1 हेक्ट)

= टिहरी गढ़वाल : राजकीय उद्यान फार्म नई टिहरी चंबा घाटी (9.6 हेक्ट)

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बहुरेंगे किसानों के दिन

किसान से तीस वर्ष के लीज पर जमीन लेकर चाय विकास बोर्ड बागान विकसित करेगा। साथ ही परिवार के एक सदस्य को प्रति हेक्टेयर रोजगार भी उपलब्ध कराएगा। खास बात कि सात वर्ष बाद संबंधित किसान को बोर्ड जमीन का किराया भी देगा।

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'उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल जी इस दिशा में खासी दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्हीं के निर्देश पर बागान विकसित किए जाने संबंधी प्रस्ताव हमने भेज दिया है। जमीन का स्वामी यदि प्रवासी है तो उसे भी इस योजना से जोड़ा जाएगा ताकि वैश्विक महासंकट में उसे चाय की खेती व उत्पादन के जरिये स्वरोजगार मुहैया कराया जा सके।

- अनिल कुमार खोलिया, वित्त अधिकारी उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड'

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