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तंत्र की उपेक्षा से आम व उत्पादकों की बेकद्री

संवाद सहयोगी, रानीखेत : अबकी सीजन में फलों के राजा आम की बेकद्री व वाजिब दाम न मिलने से उत्पा

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Aug 2018 11:07 PM (IST)Updated: Sun, 12 Aug 2018 11:07 PM (IST)
तंत्र की उपेक्षा से आम व उत्पादकों की बेकद्री
तंत्र की उपेक्षा से आम व उत्पादकों की बेकद्री

संवाद सहयोगी, रानीखेत : अबकी सीजन में फलों के राजा आम की बेकद्री व वाजिब दाम न मिलने से उत्पादकों की कमर टूट गई है। बागेश्वर के बाद अब ताड़ीखेत विकासखंड के किसान सरकार के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। उनका तर्क है कि ब्लॉक के तमाम गांव आम उत्पादन में अव्वल हैं। पैदावार भी बंपर हुई लेकिन राज्य सरकार की ओर से समर्थन मूल्य घोषित न किए जाने तथा संग्रह केंद्र न खोले जाने से उन्हें अपनी उपज बिचौलियों को औने पौने दाम में बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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फल व सब्जी उत्पादक विकासखंड ताड़ीखेत संग्रह केंद्र व उपमंडी या हाट बाजार न खुलने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यही वजह है कि अबकी आम की अच्छी खासी पैदावार के बावजूद उत्पादकों को अच्छी कीमत नसीब न हो सकी। सौला गांव में तो उचित बाजार न मिलने से कलमी, दशहरी, लंगड़ा, चौरसा आदि प्रजातियां बर्बाद हो रही हैं। पूर्व प्रधान असवाल कोट्यूड़ा चंद्रशखेर रावत, मोहन सिंह रावत तल्ली सलोनी हों या गटोली गांव के जगमोहन रावत आदि ने कहा कि यदि राज्य सरकार ध्यान दे तो पर्वतीय किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है। उन्होंने कहा कि मजबूरन उत्पादकों को बिचौलियों की कठपुतली बनना पड़ रहा है।

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ब्लॉक में ये हैं आम उत्पादक गांव

सरना, पीपली, सगनेठी, सौला, ड्योड़ाखाल, सलोनी, चौगांव, बमस्यूं, चापड़, विशालकोट, अम्याड़ी, डींगा, सिलोर आदि।

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'पूर्व की कांग्रेस सरकार में फलों की ग्रेडिंग के साथ बिक्री की व्यवस्था बनाई गई थी। मगर वर्तमान सरकार में किसानों को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए ही नहीं जा रहे। ब्लॉक मुख्यालय से उद्यान निदेशालय को विपणन के लिए दबाव बनाया जाएगा।

-रचना रावत, ब्लॉक प्रमुख'


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