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पं.दीनदयाल के सूत्रों को अपनाकर विराट जागरण की राह होगी आसान

अल्मोड़ा में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी शामिल रहे।

By raksha.panthariEdited By: Published: Sun, 05 Nov 2017 08:02 PM (IST)Updated: Sun, 05 Nov 2017 08:43 PM (IST)
पं.दीनदयाल के सूत्रों को अपनाकर विराट जागरण की राह होगी आसान
पं.दीनदयाल के सूत्रों को अपनाकर विराट जागरण की राह होगी आसान

अल्मोड़ा[जेएनएन]: 'एकात्म मानववाद' पर गहन अध्ययन व चिंतन के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारकों ने एक सुर से कहा कि 'दैशिक शास्त्र' के जरिये ही सनातन हिंदू संस्कृति के मूल तत्वों से विराट भारत का 'जागरण' होगा। जिसकी दृष्टि में पूरी सृष्टि वसुधैव कुटुंबकम् है। भारत भूमि से मानवतावाद का यही पुन: अभ्युदय पूरे विश्व को युद्ध के बजाय एक सूत्र में पिरोने का काम करेगा। यही सूत्र अतीत की तरह भविष्य में भी भारत को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक शक्ति बनाएगा। मुख्य वक्ता वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने बाकायदा उत्तराखंड के इतिहासिकारों व बुद्धिजीवियों से इस ग्रंथ पर शोध का आह्वान किया। 

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती पर उत्तरांचल उत्थान समिति के तत्वावधान में रविवार को एकात्म मानव दर्शन एवं दैशिक शास्त्र के संदर्भ में 'एक अक्षय, एकात्म और समग्र संतुलित विकास हेतु दिशा बोध' विषयक दो दिनी कार्यशाला व व्याख्यानमाला के समापन पर जो निचोड़ निकला, उसने अल्मोड़ा में सृजित ग्रंथ 'दैशिक शास्त्र' के सूत्रों को मानववाद के नए जागरण की राह दिखाई। मुख्य वक्ता डॉ. जोशी ने कहा कि यह ग्रंथ सनातन हिंदू संस्कृति के मूल तत्वों से भारतीय राष्ट्र व्यवस्था के प्रति समाज को सजग करता है। इसमें पं. दीनदयाल के सूत्रों को अपना कर भारत में विराट जागरण का पथ प्रशस्त होगा।

डॉ. जोशी ने कहा, 'दैशिक शास्त्र' में पं.दीनदयाल ने स्वाधीनता आंदोलन, आजादी तथा इसके बाद के भारत की तस्वीर खींची, जिसमें वैदिक संस्कृति व सनातन धर्म वाले भारत का सपना बुना गया। कहा कि सनातन धर्म बढ़ेगा तो भारत बढ़ेगा। इसका ह्रास हुआ तो राष्ट्र का भी ह्रास होगा। बहरहाल, पांच सत्रों में चली कार्यशाला में 'दैशिक शास्त्र' पर उत्तराखंड के बुद्धिजीवियों व इतिहासविदों से शोध का आह्वान किया गया। 

डॉ. जोशी ने कहा कि एकात्म मानववाद व देशभक्ति आधारित 'दैशिक शास्त्र' को सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक तंत्र के विकास में उद्बोधक ग्रंथ बताया। कहा कि स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद, योगी अरविंद, लाल-बाल-पाल की त्रिमूर्ति, महामना मालवीय, रवींद्र नाथ टैगोर, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार आदि क्रांतिकारी समूहों ने जो राह दिखाई, उसी के अनुरूप भारत को आगे बढ़ाना होगा। 

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