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पर्वतीय वादियां 'फूलदेई छम्मा देई.. ' से गूंजीं

प्रकृति के संग उमंग व उल्लास का मास चैत्र के आगमन पर पर्वतीय वादियों में फूलदेई छम्मा देई के मंगलगीत गूंजे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 10:51 PM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 06:21 AM (IST)
पर्वतीय वादियां 'फूलदेई छम्मा देई.. ' से गूंजीं
पर्वतीय वादियां 'फूलदेई छम्मा देई.. ' से गूंजीं

अल्मोड़ा/रानीखेत/द्वाराहाट/सोमेश्वर, जेएनएन : प्रकृति के संग उमंग व उल्लास का मास चैत्र के आगमन पर पर्वतीय वादियों में 'फूलदेई छम्मा देई.. ' के मंगलगीत गूंजे। हिमालयी राज्य के इस बाल लोक पर्व पर नन्हे मुन्ने सुबह ही विविध रंगों के फूलों से भरी टोकरियां व थाल लेकर देहरी पूजन के लिए घर घर पहुंचे। खुशहाली की कामना से जुड़े मंगल गीत गाए। बदले में उन्हें बड़े बुजुर्गों ने दक्षिणा, गुड़, पकवान आदि भेंट किए।

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चैत की नई सुबह पर्वतीय अंचल में नया उल्लास लेकर आई। नगर क्षेत्र के साथ ही सोमश्ववर की बौरारौ घाटी, गगास, बगवालीपोखर, बिता, द्वाराहाट, सल्ट स्यालदे, भिकियासैंण, लमगड़ा, सालम व उच्चयूर पट्टी, ताड़ीखेत, फलदाकोट व धूराफाट पट्टी, हवालबाग, तिखौन पट्टी, भैंसियाछाना, धौलादेवी आदि तमाम विकासखंडों व क्षेत्रों में बच्चों ने देहरी पूजन किया। बताते चलें कि चैत्र के आगमन के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में चैत की चैतोली की उमंग भी शुरू हो जाती है। पूरे मास झोड़ा गीतों से प्रकृति प्रेम, पर्यावरण संरक्षण व सामाजिक सहकारिता तथा पुरुषार्थ का संदेश दिया जाता है।


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