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द्वाराहाट के महेंद्र कन्याल बने 'सूरीनाम' गणराज्य के राजदूत

संवाद सहयोगी, द्वाराहाट : निरक्षरों को साक्षर बनाने का जुनून शैक्षिक तौर पर कमजोर समु

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 May 2018 12:03 AM (IST)Updated: Mon, 28 May 2018 12:40 AM (IST)
द्वाराहाट के महेंद्र कन्याल बने 'सूरीनाम' गणराज्य के राजदूत
द्वाराहाट के महेंद्र कन्याल बने 'सूरीनाम' गणराज्य के राजदूत

संवाद सहयोगी, द्वाराहाट : अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट विकासखंड से ताल्लुक रखने वाले महेंद्र सिंह कन्याल (आइएफएस) को भारत से बाहर एक और 'भारत' सूरीनाम गणराज्य का राजदूत बनाया गया है। बतौर राजदूत वह दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम गणराज्य (डच गुयाना) में अपनी सेवाएं देंगे। इससे पूर्व कन्याल कई देशों में सांस्कृतिक, साहित्यिक व राजनीतिक क्षेत्र में कार्य कर चुके हैं। विदेश दूतावास मंत्रालय का भी उन्हें लंबा अनुभव है। ।

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विकासखंड के कफड़ा कस्बे के सैली सुनोली गाव के साहित्यिक एवं राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ महेंद्र सिंह कन्याल को अपने सेवाकाल में उत्कृष्ट कार्य करने का पुरस्कार मिला। उर्दू, अंग्रेजी, फ्रेंच, पंजाबी आदि भाषाओं में अच्छी पकड़ रखने वाले कन्याल ने अपने राजनयिक कॅरियर में शासन प्रबंध, राजनीतिक, व्यवसायिक मसविदा तैयार करने, सामुदायिक कल्याण, सास्कृतिक तथा अन्य कायरें को कुशलता से अंजाम दिया है। इंडियन मिशन के तहत उन्होंने पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, हंगरी व सऊदी अरब में मिली जिम्मेदारियों को बखूबी निर्वहन कर कार्यकुशलता का परिचय दिया। इसी आधार पर भारत सरकार ने उन्हें भारतीय संस्कृति व सभ्यता से जुड़े सूरीनाम देश का राजदूत नियुक्त किया है। ============== निरक्षरों को साक्षर बनाने का जुनून

शैक्षिक तौर पर कमजोर समुदायों में लिए काम करने का जुनून पालने वाले कन्याल के मन में अपने राज्य उत्तराखंड के लिए भी कुछ कर गुजरने की तमन्ना है। उनकी पत्‍‌नी आकृति कन्याल भी साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इधर विभिन्न बुद्धिजीवी व सामाजिक संगठनों व जनप्रतिनिधियों ने इसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए उत्तराखंड के लिए बड़ा गौरव बताया है।

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प्राकृतिक संसाधनों के लिए उत्तराखंड यूरोपीय देशों से बेहतर : महेंद्र

द्वाराहाट : स रीनाम में नव नियुक्त भारतीय राजदूत महेंद्र सिंह कन्याल ने 'जागरण' से खास बातचीत में कहा, उत्तराखंड संस्कृति, साहित्य, प्राकृतिक संसाधनों एवं नैसर्गिक सौंदर्य के लिहाज से यूरोपीय देशों से कहीं बेहतर है। इसके संरक्षण को काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। चूंकि कन्याल इससे पूर्व कई देशों के साथ सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करने में रचनात्मक भूमिका निभा चुके हैं, लिहाजा संपूर्ण भारतीय खासतौर पर उत्तराखंड की संस्कृति व परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने बाकायदा योजना भी बनाई है। इस दिशा में क्या कैसे किया जा सकता है, आगामी सितंबर में उत्तराखंड दौरे पर पहुंच रहे राजदूत कन्याल उच्चाधिकारियों व संस्कृति वाहकों से मिल कर अपनी कार्ययोजना रखेंगे। उन्होंने कहा, सूरीनाम बहुत गहराई से भारतीय सभ्यता व संस्कृति से जुड़ा है। वहां डच व अंग्रेजी के साथ ही ¨हदी तथा भोजपुरी भाषा काफी बोली जाती है। ऐसे में वहां कार्य करने का एक अलग अनुभव रहेगा।

================== 1963 में जन्मे

महेंद्र सिंह कन्याल की प्रारंभिक शिक्षा महाराणा प्रताप स्कूल तथा स्नातक दिल्ली विवि से किया। परास्नातक मेरठ विवि से राजनीति शास्त्र में किया। वर्ष 2003 में आईएफएस बी श्रेणी में हेडक्वार्टर के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, हंगरी, फ्रास, चेक गणराज्य, पाकिस्तान अदि देशों के दूतावास व गोपनीय सेवाओं में रहे।


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