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पर्यावरण संरक्षण को जगा रहे प्रेम

बृजेश तिवारी, अल्मोड़ा : ब्राजील में वर्ष 1993 में हुए पृथ्वी सम्मेलन ने उन्हें झकझोर कर रख

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 08:04 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 08:04 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण को जगा रहे प्रेम
पर्यावरण संरक्षण को जगा रहे प्रेम

बृजेश तिवारी, अल्मोड़ा : ब्राजील में वर्ष 1993 में हुए पृथ्वी सम्मेलन ने उन्हें झकझोर कर रख दिया। तभी संकल्प ले लिया कि वह ताउम्र पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करते रहेंगे। सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्ति के बाद भी वह अपनी क्यारियों में खुद फलदार, चौड़ी पत्ती व जड़ी बूटियों के पौध उगा रहे हैं और उन्हें लोगों को बांटकर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अलख जगाने का काम कर रहे हैं।

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हम बात कर रहे हैं स्याल्दे विकास खंड के तिमली गांव निवासी प्रेम गिरि गोस्वामी की। गोस्वामी ने कई सालों तक कृषि विभाग में सहायक विकास अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दी। सेवा के दौरान उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अनेक काम किए और सेवानिवृत्ति के बाद भी वह पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कार्यो से जुड़े रहे, लेकिन वर्ष 1993 में जब ब्राजील में पृथ्वी सम्मेलन हुआ और उसमें ओजोन परत में हो रहे छेदों के कारण पृथ्वी के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की गई तो गोस्वामी से रहा नहीं गया। उन्होंने धरती को हरा भरा बनाने और प्रदूषण मुक्त बनाने की मुहिम को अपना लक्ष्य बना लिया। इस सम्मेलन के बाद गोस्वामी ने अपनी निजी पांच हेक्टेयर जमीन में फलदार और चौड़ी पत्ती के पौधों की क्यारियां बनाई और उसमें पैदा किए गए पौधों को घर- घर जाकर बांटने का काम शुरू दिया। गोस्वामी की दिनचर्या उनके द्वारा रोपे गए पौधों की कुशलक्षेम से होती है और शाम क्यारियों में लगाए गए पौधों को पानी देकर। दिन में गोस्वामी दूरस्थ इलाकों को भ्रमण कर लोगों को पौध बांटते हैं और पर्यावरण को संरक्षित रखने की नसीहत भी देते हैं। 84 वर्ष की उम्र होने के बाद भी गोस्वामी के जज्बे में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आई है।

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पचास हजार से अधिक पौधे रोप चुके हैं गोस्वामी

लोगों को वृक्षारोपण के लिए जागरूक करने के साथ ही अब तक गोस्वामी करीब पचास हजार पौधे रोप चुके हैं। जिनमें से करीब 60 प्रतिशत पौधे वृक्षों का रूप भी धारण कर चुके हैं। गोस्वामी का मानना है कि सिर्फ पौध रोपण कार्यक्रम करने भर से हमारी जिम्मेदारियों की इतिश्री नहीं होनी चाहिए। बल्कि हमें रोपे गए पौधों को जिंदा रखने के लिए भी कुछ सालों तक मेहनत करनी चाहिए।

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शुभ कार्यो में पौध लेकर पहुंचते हैं प्रेम गिरि

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए वैसे तो साल भर गोस्वामी पौधों का वितरण करते रहते हैं। लेकिन अगर इलाके में किसी के घर में विवाह, नामकरण अथवा कोई अन्य शुभ कार्य हो तो गोस्वामी वहां विशेष रूप से पहुंचते हैं और परिजनों से पौध रोपण भी करवाते हैं।

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कई पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित

पर्यावरण संरक्षण को अपना जीवन का लक्ष्य बना चुके गोस्वामी अब तक कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। जिला स्तर पर प्रगतिशील किसान के साथ साथ उन्हें बागवान संगठन का अध्यक्ष भी बनाया गया। जबकि इंडियन एग्रीकल्चर, भारतीय पशु चिकित्सा संस्थान मुक्तेश्वर, वीपीकेएएस, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, उद्यान विभाग से भी उन्हें कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। जबकि उनका नाम केंद्रीय कृषि मंत्रालय से संबंधित किसानों में भी सम्मिलित है।


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