धरतीपुत्रों की आय बढ़ाएगी 'लेमन ग्रास'
पर्वतीय जनपदों में जंगली जानवरों के आतंक से चौपट हुई खेती के नुकसान से लेमन ग्रास किसानों को बचाएगी।
रानीखेत, मनीष साह : पर्वतीय जनपदों में जंगली जानवरों के आतंक से चौपट हुई खेती के नुकसान से धरती पुत्रों को उभारने को सगंध पौधा केंद्र ने कदम बढ़ा लिया है। किसानों को लेमन ग्रास की खेती से लाभ दिलाया जाएगा। काश्तकारों को लेमन ग्रास की खेती के लिए बकायदा संबंधित विभाग आवश्यक सामग्री व पौधे उपलब्ध कराएगा।
पहाड़ों में जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में अब सगंध पौधा केंद्र (सेलाकुई) देहरादून किसानों को लेमन ग्रास की खेती को बढा़वा देने को प्रेरित करेगा। खास बात यह है कि जंगली जानवर लेमन ग्रास को नुकसान नहीं पहुंचाता। वहीं एक बार लेमन ग्रास को खेतों में लगाए जाने के बाद करीब पाच वषरें तक इसमें निराई, गुड़ाई व जुताई की आवश्यकता नहीं होती। हालाकि शुरुआती छह माह में पौध की देखरेख करनी पड़ती है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार लेमन ग्रास किसान की आय में बढ़ोतरी करेगी। इसके लिए ग्राम पंचायतों की खुली बैठक से प्रस्ताव ब्लॉक मुख्यालय तथा वहा से सगंध पौधा केंद्र सेलाकुई को भेजा जाएगा। लेमन ग्रास से निकाले जाने वाले तेल के लिए बकायदा सरकार ने एक हजार रुपये प्रति किलो का समर्थन मूल्य भी तय किया हुआ है।
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भूकटाव भी रोकेगी लेमन ग्रास की खेती
लेमन ग्रास किसान की आय बढ़ाने का बेहतर साधन होने के साथ-साथ कृषि भूमि के भू कटाव को भी रोकती है। इसकी जड़ें कृषि भूमि को मजबूती से जकड़ लेती हैं। वर्षा आधारित क्षेत्रों में करीब 1.003 हेक्टेयर में लेमन ग्रास का उत्पादन करने पर करीब एक क्विंटल तेल निकाला जाता है। तेल निकालने की मशीन के लिए काश्तकारों को 75 फीसदी सरकार की ओर से सब्सिडी भी मुहैया होती है। सगंध पौधा केंद्र किसानों को पौधरोपण व विभिन्न तकनीकी जानकारिया उपलब्ध कराता है।
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चाय व सौंदर्य प्रसाधन में भी होती है इस्तेमाल
लेमन ग्रास से जहा तेल उपलब्ध होता है। वहीं इसको चाय के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। सौंदर्य प्रसाधन, ईत्र व साबुन बनाने में भी इसका इस्तेमाल कर किसान आय बढ़ा सकते हैं।
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लेमन ग्रास की खेती किसानों के लिए बेहद लाभदायक है। जंगली जानवर इसे नुकसान नहीं पहुंचाते। वहीं सरकार ने इसका समर्थन मूल्य भी तय किया है। पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों को इसके उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाएगा। काश्तकारों को ग्राम पंचायत की खुली बैठक में इसकी खेती के लिए प्रस्ताव पास करा ब्लॉक मुख्यालय भिजवाना होगा।
- सुनील बड़थ्वाल, वरिष्ठ तकनीकी सहायक सगंध पौधा केंद्र सेलाकुई (देहरादून)