पौराणिक द्वारका में उतरी देवभूमि की गौरवशाली परंपरा
जागरण संवाददाता द्वाराहाट पौराणिक द्वारका में देवभूमि की गौरवशाली परंपरा व विशिष्ट लोकसं
जागरण संवाददाता, द्वाराहाट : पौराणिक द्वारका में देवभूमि की गौरवशाली परंपरा व विशिष्ट लोकसंस्कृति एक बार फिर जीवंत हो उठी। 'जै शिवा शंकर हो शिवा जै, शिवा शंकर कैलाशवासी..' की स्तुति के साथ पवित्र गुप्त सरस्वती, सुरभि एवं नंदनी की त्रिवेणी पर विभांडेश्वर तीर्थ पारंपरिक झोड़ा गीतों से गूंजने लगा। शंखनाद, वैदिक मंत्रोच्चार व नगाड़े की गर्जना के बीच भगवान शिव के धाम में कत्यरकालीन ऐतिहासिक बिखौती कौतिक (मेले) का श्रीगणेश हुआ। पुरातन परंपरानुसार रणा गांव के रणबांकुरों ने सबसे पहले मंदिर में निषाण अर्पित किए। फिर देर शाम तक झोड़ा गीतों के जरिये महादेव की महिमा के गुणगान का दौर चलता रहा। चैत्र मास की भावुक विदाई व वैशाख के आगमन की पूर्व संध्या पर कुमाऊं की प्राचीन सांस्कृतिक, धार्मिक व आध्यात्मिक नगरी बिखौती मेले के रंग में रम गई। मध्यरात्रि बाद शुभ मुहूर्त पर बिखौती का मुख्य मेला लगेगा।
==================
मेला संरक्षण को मिलकर करें प्रयास : महेश
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बुजुर्ग संस्कृति कर्मी धर्मानंद पुजारी, विधायक महेश नेगी, पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी, ब्लॉक प्रमुख ममता भट्ट, बिखौती मेला समिति अध्यक्ष रमेश पुजारी ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर शुभारंभ किया। विधायक ने मेले के संरक्षण को मिलकर प्रयास करने पर जोर दिया। मौके पर मेला समिति उपाध्यक्ष हेम रावत, सचिव नारायण रावत, उपपा अध्यक्ष पीसी तिवारी, जगदीश बुधानी, गिरीश चौधरी, तारा दत्त पुजारी, कैलाश भट्ट, हरवंश बिष्ट, कैलाश फुलारा, महेश पंत, बाला दत्त काडपाल, प्रताप बिष्ट, बीसी काडपाल, शेखर पुजारी, जीवन बिष्ट, पीसी जोशी आदि मौजूद रहे।
===================
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम
सुरईखेत, सिमलगाव, रणा, बटूलिया आदि विद्यालयों के बच्चों ने सास्कृतिक कार्यक्रमों से मुग्ध किया। हिमाला सास्कृतिक संस्था बागेश्वर के लोक कलाकारों ने समा बांधा।
============
आज होंगे ये मुख्य कार्यक्रम
= नगर में बाटपुजै (मार्ग पूजन) मेला। नौच्युला धड़े के रणबांकुरे ओड़ा भेंटने की रस्म निभाएंगे।
= पूर्वाह्न 11 बजे सास्कृतिक शोभायात्रा।
= मध्याह्न 12 बजे दूनागिरि तिराहा पर तीन पूर्व विधायकों क्रमश: स्व. मदनमोहन उपाध्याय, स्व. हरी दत्त काडपाल व स्व. बिपिन त्रिपाठी की मूर्तियों का अनावरण।
= रात्रि में मल्लिका लोक कला समिति तथा विद्यालयी बच्चों के सास्कृतिक कार्यक्रम।
===============
भक्ति व श्रृंगार रस पर थिरका हुजूम
द्वाराहाट : बिखौती की शाम ने जैसे जैसे अंधेरे की चादर ओढ़ी, पौराणिक द्वारका में कौतिक भी परवान चढ़ने लगा। रणा गांव की महिला पुरुषों की टोलियों ने भक्ति व श्रृंगार रस से लबरेज 'जय हो मां दूनागिरि की भगवती राज राजेश्वरी की..', 'इंद्रधनुषी साड़ी क लाल किनारा ओ नंदी के कर छै इशारा..' आदि झोड़ा गीतों से स्तुति की। वहीं छपेली 'बाना चकोरा भनुली तीलै धारौ बौला..' व 'उत्तराखंडा देवा सुफल करिया ता छुमका छुमा छुम..' पर मेलार्थियों का हुजूम खूब थिरका।