सीतापुर अस्पताल की 'रोशनी' खत्म
संवाद सहयोगी, रानीखेत : गरीबों की जिंदगी को नई ज्योति देने वाले विख्यात सीतापुर नेत्र चिकित्सालय की
संवाद सहयोगी, रानीखेत : गरीबों की जिंदगी को नई ज्योति देने वाले विख्यात सीतापुर नेत्र चिकित्सालय की 'रोशनी' अब समाप्त हो गई है। 60 से 80 के दशक के दौर में अल्मोड़ा जनपद ही नहीं बल्कि रानीखेत उपमंडल से सटे गढ़वाल मंडल के ग्रामीणों के लिए वरदान इस अस्पताल की लीज न बढ़ाए जाने का ही नतीजा रहा कि छावनी परिषद ने 2.14 एकड़ में फैले चिकित्सालय, डॉक्टर आवास समेत पूरी भूमि वापस ले ली है। चूंकि इस शाखा का संचालन लखनऊ से होता आया है, लिहाजा उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का सीएम बनने के बाद अल्मोड़ा व रानीखेत स्थित दोनों चिकित्सालयों के दिन बहुरने की उम्मीद जगी थी। मगर देश में अव्वल नेत्र अस्पताल चलाने वाले सीतापुर प्रबंधन (उप्र) की रानीखेत शाखा की रोशनी अब शायद ही लौट सके।
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साठ के दशक में ली थी लीज पर
सीतापुर अस्पताल प्रबंधन लखनऊ नए साठ के दशक में छावनी परिषद रानीखेत से लीज पर यह भूमि ली थी। इससे पूर्व इस भवन में स्कूल चलाया जाता था। 1969 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्ता ने यहा डॉक्टर कॉलोनी भी बनवाई।
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सस्ते में बड़ा ऑपरेशन
सीतापुर नेत्र चिकित्सालय में सर्जन, विशेषज्ञ चिकित्सक, फार्मासिस्ट व वार्डबॉय 24 घटे तैनात रहते थे। यही नहीं आखों के छोटे बड़े सभी ऑपरेशन रानीखेत में ही होते थे। सूत्रों की मानें तो पच्चीस पैसे से बीस रुपये के पर्चे में लोगों को बेहतरीन इलाज मिलता था।
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उत्तराखंड बनने तक बनी रही धाक
उत्तराखंड गठन तक सीतापुर नेत्र अस्पताल की तूती बोला करती थी। धीरे धीरे आखों के और अस्पताल भी खुले। हाईटेक सुविधाएं भी पहुंची। मगर सीतापुर अस्पताल प्रबंधन ने रानीखेत शाखा को आधुनिक पुट देने में सुस्ती दिखा दी। बहरहाल बीते वर्ष तक नेत्र विशेषज्ञ फार्मासिस्ट गरीब रोगियों के नेत्रों की जाच के लिए मौजूद रहते थे।
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उप्र सरकार ने नहीं दिया ध्यान
सूत्र बताते हैं उत्तर प्रदेश सरकार से सहायता प्राप्त इस शाखा की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। न तो अस्पताल को हाईटेक किया जा सका, ना ही छावनी परिषद से लीज की अवधि को ही बढ़ाया गया। नतीजा छावनी परिषद ने सीतापुर नेत्र चिकित्सालय की पूरी भूमि मय भवन अपनी सुपुर्दगी में लेने का निर्णय लिया है।
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इन इलाकों का था बड़ा सहारा
उपमंडल के द्वाराहाट, सल्ट, चौखुटिया, भतरौजखान, भिकियासैंण के साथ ही पाडवाखाल, गैरसैंण (गढ़वाल) से लोग आखों के इलाज को आते थे। यही नहीं अल्मोड़ा में शाखा खुलने से पूर्व 80 के दशक तक वहा से भी नेत्र रोगी रानीखेत ही आते थे।
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अस्पताल की जगह लेगा मल्टीप्लेक्स
सीतापुर अस्पताल प्रबंधन से भवन व भूमि वापस लेने के बाद कैंट बोर्ड उसे नया लुक देने की योजना बना रहा। पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने को नेत्र चिकित्सालय की जगह अब वहा मल्टीप्लेक्स का निर्माण किया जाएगा। साथ ही पर्यटकों को रिझाने के लिए पुस्तकालय आदि भी बनाया जा सकता है।
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'सीतापुर अस्पताल प्रबंधन को लीज पर दी गई करीब 2.14 एकड़ जमीन वापस मिल चुकी है। एक दो दिन में आर्किटेक्ट के लिए टेंडर आमंत्रित कर दिए जाएंगे। साथ ही वषरें पुराने भवन को नया स्वरूप देने के लिए उत्तराखंड सरकार को भी बजट का प्रस्ताव भेजा जाएगा।
- ज्योति कपूर, सीईओ कैंट बोर्ड'