अल्मोड़ा में वैज्ञानिक तकनीक से होगा कुंज नदी का उद्धार
अल्मोड़ा में जीवनदायिनी कोसी की सहायक कुंजगढ़ नदी के उद्धार को पुनर्जनन अभियान का दूसरा चरण शुरू।
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : जीवनदायिनी कोसी की सहायक कुंजगढ़ नदी के उद्धार को पुनर्जनन अभियान के अगले चरण की तैयारी तेज हो गई है। अत्याधुनिक भौगोलिक सूचना विज्ञान (जीआइएस) तकनीक से दम तोड़ती नदी को नया जीवन देने के लिए इस माह के अंत में नौ रिचार्ज जोन के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी तथा कर्मचारियों को यांत्रिक उपचार का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
कुंजगढ़ पुनर्जनन अभियान का हरेला पर्व पर श्रीगणेश किया गया था। इधर, अगले चरण में पौधारोपण के बजाय रिचार्ज जोन पर उद्गम स्थल की ओर यांत्रिक उपचार पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है ताकि बरसाती पानी को शिखर की ओर रोक भूजल भंडारों तक पहुंचाया जा सके। इससे नदी के सहायक जलस्रोतों व धारों को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।
इसी मकसद से डीएम नितिन सिंह भदौरिया ने शुक्रवार को विकास भवन सभागार में कुंज जलागम क्षेत्र में अब तक किए गए कार्यो की समीक्षा की। आगामी कार्ययोजना पर कुमाऊं मंडल नदी पुनर्जनन समिति के वैज्ञानिक सलाहकार विभागाध्यक्ष भूगोल एसएसजे परिसर (कुमाऊं विवि) प्रो. जीवन सिंह रावत व मातहतों के साथ मंथन किया। प्रो. रावत ने बताया कि प्रशिक्षण ताड़ीखेत ब्लॉक मुख्यालय में दिया जाएगा।
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वीडीओ करें पौधों की मॉनीटरिंग
डीएम ने कहा कि प्रो. जीवन सिंह रावत के मार्गदर्शन में तैनात नोडल अधिकारियों व फील्ड स्टाफ को माह के अंत में प्रशिक्षण दिया जाय। बताया कि हरेले पर जिले भर में 2.32 लाख पौधे लगाए गए। डीडीओ पौधों की सुरक्षा को मॉनीटरिंग करें। बीडीओ रोज प्रगति रिपोर्ट दें। डीएम ने जलागम क्षेत्र में बनाए जा रहे चाल, खाल, खंतियों, ट्रंच होल आदि की जियो टैगिंग को भी कहा। साथ ही नोडल अधिकारियों के कार्यो को जीआइएस सेल को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
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ये रहे मौजूद
सीडीओ मनुज गोयल, डीएफओ केएस रावत, डीडीओ केके पंत, वरिष्ठ वैज्ञानिक जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान कोसी कटारमल डॉ. वसुधा अग्निहोत्री, दधीचि अवार्डी प्रकाश जोशी, बीडीओ हवालबाग पंकज कांडपाल, किशन राम ताकुला व आनंद राम ताड़ीखेत, वन क्षेत्राधिकारी संचिता वर्मा, जीआइएस एनालिस्ट नेहा, कोसी समन्वयक शिवेंद्र प्रताप आदि।