कोसी नदी में फंसा आइटीबीपी का पूर्व जवान, पांच घंटे बाद निकाला
कोसी नदी में फंसी तीन गायों को बचाने का प्रयास कर रहे आइटीबीपी के पूर्व जवान की जान पर बन आई। वह नदी के तेज प्रवाह के बीच एक पत्थर में फंस गया।
रानीखेत, [जेएनएन]: पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार बारिश लोगों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। कोसी नदी में फंसी तीन गायों को बचाने का प्रयास कर रहे आइटीबीपी के पूर्व जवान की जान पर बन आई। वह नदी के तेज प्रवाह के बीच एक पत्थर में फंस गया। बामुश्किल पांच घंटे बाद रेस्क्यू कर उसे सकुशल बाहर निकाला गया।
अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर अतिसंवेदनशील लोहाली की पहाड़ी के ठीक नीचे ज्याड़ी गांव (ताड़ीखेत ब्लॉक) निवासी चंदन सिंह की तीन गाय एकएक जल स्तर बढ़ने से कोसी नदी के बीच में फंस गई। ग्रामीणों ने अल्मोड़ा स्थित आपदा नियंत्रण कक्ष में इसकी सूचना दी।
इस पर आपदा प्रबंधन, फायर ब्रिगेड तथा एसडीआरएफ की 21 सदस्यीय दल मौके पर पहुंचा। पानी का बहाव काफी तेज होने के कारण रेस्क्यू सफल न हो सका।
सायं करीब पांच बजे ज्याड़ी गांव (ताड़ीखेत ब्लॉक) का ही आइटीबीपी का पूर्व जवान कैलाश नेगी ने रेस्क्यू टीम की मदद के लिए गायों को बचाने के मकसद से नदी में उतरने का निर्णय लिया।
दरअसल, आइटीबीपी का यह अवकाश प्राप्त जवान स्थानीय है और उसे कोसी के बहाव व गहराई की ठीक ठीक जानकारी भी है। वहीं, वह गोताखोरी में भी निपुण बताया जा रहा था।
जवान जैसे ही नदी में उतरा और बीच में पहुंचा तो जलस्तर एकाएक बढ़ गया। इस पर वह नदी के बीच एक बड़े पत्थर पर चढ़ गया। उसे नदी में फंसा देख एनडीआरएफ के 16 जवान भी मौके पर जुटे। टापू तक जीवनरक्षक रस्सी या अन्य साजो सामान पहुंचाना मुश्किल साबित हो रहा था। किसी तरह मशक्कत कर उसे करीब पांच घंटे बाद नदी से बाहर निकाला गया।
53 घंटे बाद गायों को निकाला नदी से बाहर
गायों को बचाने के लिए सोमवार को एनडीआरएफ ने रेस्क्यू किया। बामुश्किल तेज लहरों के बीच दो जवान टापू पर पहुंचे। कोसी नदी का तेज बहाव जवानों के लिए मुसीबत करता खड़ा करता गया। जैसे तैसे गायों को रस्सी के सहारे कोसी नदी के पार लाने की कोशिश तेज की गई। करीब तीन घंटे तक चले रेस्क्यू के बाद तीनों गायों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया।
रेस्क्यू देखने के लिए जमा रही भीड़
गायों को नदी से निकालने के रेस्क्यू को देखने के लिए मौके पर लोगों की भीड़ जमा रही। एसडीएम प्रमोद कुमार भी मय टीम मौके पर मुस्तैद रहे। जैसे ही एनडीआरएफ की टीम ने मोती, चंदू तथा बीनू (तीनों गाय) को तेज लहरों के बीच से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, तो लोगो ने एनडीआरएफ के जवानो की तालियों से हौसला अफजाई की।
जवानों को भी आई दिक्कत
उफनाई कोसी नदी में एनडीआरएफ की टीम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। टीम का नेतृत्व कर रहे संत सिंह लगातार माइक से जवानों को दिशा निर्देश देते रहे। कई बार असफल रहने के बाद बामुश्किल दो जवान कोसी नदी के बीच टापू पर पहुंच सके।
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