वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ फिर साथ आएंगी इंडो अमेरिकन फौज, यहां होगा युद्ध अभ्यास
16 सितंबर से पर्वतीय जटिल परिस्थितियों में काउंटर इंसर्जेंसी एवं काउंटर आतंकवाद के तहत भारत एवं अमेरिका के बीच 14वां संयुक्त सैन्याभ्यास होगा।
रानीखेत, अल्मोड़ा [जेएनएन]: रक्षा सहयोग एवं सामरिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के उद्देश्य से दुनिया के दो बड़े गणतांत्रिक देश भारत एवं अमेरिका (यूएसए) के बीच संयुक्त युद्ध अभ्यास-2018 चौबटिया में होने जा रहा है। 16 सितंबर से पर्वतीय जटिल परिस्थितियों में काउंटर इंसर्जेंसी एवं काउंटर आतंकवाद के तहत दोनों गणतांत्रिक देशों के बीच यह 14वां संयुक्त सैन्याभ्यास है। जबकि रानीखेत के चौबटिया में यह तीसरा सैन्याभ्यास होगा।
देश दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद के खात्मे तथा रक्षा क्षेत्र से जुड़े रिश्तों को और मजबूत बनाने के लिए भारतीय व अमेरिकी फौज जंग के मैदान में फिर साथ नजर आएंगी। दोनों देशों की सेना 16 सितंबर से मिलकर पर्वतीय जटिल परिस्थितियों में काउंटर इंसर्जेंसी एवं काउंटर आतंकवाद के तहत युद्धाभ्यास करेंगी।
सैन्य सूत्रों के मुताबिक दो सप्ताह तक चलने वाले इस संयुक्त युद्धाभ्यास में भारतीय व अमेरिकी सेना के करीब 400-400 जांबाज हिस्सा लेंगे। पीआरओ डिफेंस गार्गी मलिक के अनुसार दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्याभ्यास का यह 14वां एडीशन है। बीते वर्ष 2017 में सैन्याभ्यास लुइस मैकार्ड ज्वाइंट बेस (अमेरिका) में हुआ था।
तब और करीब आएगी दोनों मुल्कों की सेना
सैन्य सूत्रों के अनुसार योजनाबद्ध सैन्य अभ्यास में दोनों देशों की सैन्य टुकडिय़ां एक-दूसरे की संगठनात्मक, हथियारों व सैन्य उपकरणों से रूबरू होंगे। वहीं परस्पर रणनीतिक, तकनीकि, कार्रवाई एवं ऑपरेशन से जुड़े अनुभव भी साझा किए जाएंगे। 29 सितंबर को युद्धाभ्यास के समापन पर दोनों देशों की सैन्य टुकडिय़ां आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त ऑपरेशन का प्रदर्शन करेंगी। संयुक्त युद्धाभ्यास के क्षेत्र व क्रिया कलापों को बढ़ाने का निर्णय वर्षों पहले अमेरिका व भारत ने लिया।
इसके तहत ब्रिगेड मुख्यालय स्तरीय कमान पोस्ट, फील्ड ट्रेनिंग अभ्यास के साथ साथ दानों सैन्य विशेषज्ञ आपसी हितों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेंगे। खास बात कि दोनों देशों की सेना काउंटर इंसर्जेंसी व काउंटर आतंकवाद आदि ऑपरेशनों की अनुभवी हैं। वहीं विपरीत हालात में रणनीतिक एवं ड्रिल में एक दूसरे के कौशल को समझते भी हैं। युद्धाभ्यास को दो गणतांत्रिक देशों के लिये बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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