अल्मोड़ा जिले में बिना वीडीओ कैसे होगा गांवों का विकास
सरकार गांवों के विकास को अपनी प्राथमिकताओं में गिनाती है। वहीं अल्मोड़ा जिले में वीडीओ की कमी बनी हुई है।
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : एक ओर सरकार गांवों के विकास को अपनी प्राथमिकताओं में गिनाती है। वहीं अनेक ग्राम पंचायतों को उन्हें अपने ही हाल पर छोड़ दिया गया है। जिले की 1160 ग्राम पंचायतों के विकास के लिए कुल 106 ग्राम विकास अधिकारियों के पद सृजित हैं। इनमें से भी 60 पद अरसे से खाली चल रहे हैं। ऐसी दशा में एक-एक ग्राम विकास अधिकारी के पास 30 से 40 ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों का बोझ है। ऐसे में जहां मनरेगा से संबंधित कार्यों पर असर पड़ रहा है, वहीं ग्रामीणों को भी अपने जरूरी प्रमाण पत्र बनवाने में परेशानी हो रही है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा करते थे कि जब गांवों का विकास होगा, तभी देश सशक्त बनेगा। लेकिन पृथक उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही आती जाती सरकारों ने ग्राम्य विकास को उसके हाल पर छोड़ रखा है। वीडीओ की कमी से गांवों के विकास पर असर पड़ने के साथ ही ग्रामीणों को भी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। इधर, ग्राम विकास अधिकारी एसोसिएशन के जिला महामंत्री उमापति पांडे का कहना है कि संगठन इस समस्या को दूर करने की मांग अरसे से कर रहा है। इसके बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है।
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ये कार्य हो रहे प्रभावित
ग्राम विकास अधिकारियों की कमी से मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, एनएचएम, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, पीएम आवास योजना, पलायन आयोग से संबंधित कार्यों पर असर पड़ रहा है। इसके साथ ही ग्रामीण को समय पर बीपीएल प्रमाण पत्र समेत अन्य प्रमाण पत्रों को प्राप्त करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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शासन व विभाग ग्राम्य विकास के लिए लगातार प्रयासरत हैं। गांवों के विकास के लिए अनेक योजनाएं संचालित की गई हैं। जिले में रिक्त पड़े ग्राम विकास अधिकारियों की सूची शासन व ग्राम्य विकास निदेशालय को भेजी गई है।
-केके पंत, जिला विकास अधिकारी, अल्मोड़ा