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हिमालय के तेजी से पिघलने गहन मंथन

संवाद सूत्र, ताड़ीखेत (रानीखेत) : विद्यार्थियों को जैव विविधता, हिमालय के पिघलने के कारणों

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 11:07 PM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 11:07 PM (IST)
हिमालय के तेजी से पिघलने गहन मंथन
हिमालय के तेजी से पिघलने गहन मंथन

संवाद सूत्र, ताड़ीखेत (रानीखेत) : विद्यार्थियों को जैव विविधता, हिमालय के पिघलने के कारणों की जानकारी देने को जवाहर नवोदय विद्यालय में एक दिनी गोष्ठी हुई। वक्ताओं ने दैनिक जीवन में विज्ञान का महत्व बताते हुए पर्यावरण व जल संरक्षण को मिलकर प्रयास करने पर जोर दिया।

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उत्त्तराखंड विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) के तत्वावधान में हुई गोष्ठी में विशेषज्ञों ने दैनिक जीवन में विज्ञान का महत्व बताया। कहा अवैज्ञानिक विकास के कारण ही पर्यावरण दूषित हो रहा है और ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इनको बचाने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह राणा ने बिगड़ते पर्यावरण व दूषित पानी से मानव जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी दी। कहा समय रहते नहीं चेता गया तो आने वाले समय इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। भारत ज्ञान विज्ञान समिति की समन्वयक अग्रिम सुंदरियाल ने दैनिक जीवन में विज्ञान के बढ़ते महत्व की जानकारी दी। पेट्रोलियम संस्थान देहरादून से सेवानिवृत्त्त वैज्ञानिक प्रो. डॉ एसके खन्ना ने बच्चों को पेट्रोलियम पदाथरें से जूड़ी जानकारी दी। यूसर्क के ओम जोशी ने पर्यावरण व जल संरक्षण के लिए अनुसंधान केंद्र द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। प्राचार्य कंचन जोशी ने विद्यार्थियों से गोष्ठी में मिले ज्ञान को जीवन में उतारने का आह्वान किया।

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ये रहे मौजूद

उपप्रचार्य पारस नाथ, हरविंदरजीत सिंह, एके चक्रवर्ती, अनुराधा शर्मा, राकेश कुमार, डॉ. हेमंत बलौदी, मंजू चौधरी, तनूजा, राकेश कुमार, डॉ. डीके त्रिवेदी, मधुसूदन पांडे, डीसी जोशी आदि।


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