हार्ट अटैक का खतरा कम करने को खेलते-कूदते रहें
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी, अल्मोड़ा : घर से थोड़ी दूर भी पैदल नहीं जाना, ऊंची बिल्िडग में सी
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी, अल्मोड़ा : घर से थोड़ी दूर भी पैदल नहीं जाना, ऊंची बिल्िडग में सीढि़यों के बजाय लिफ्ट से जाना, देर रात को जरूरत से ज्यादा भोजन करना और अत्यधिक नशा करना आज ट्रेंड बन गया है। इसी आधुनिक जीवनशैली ने तमाम बीमारियों के साथ हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ा दिया है। इस बीमारी से जहां पहले उम्रदराज लोग ही प्रभावित होते थे, वहीं अब युवा भी तेजी से हार्ट अटैक की चपेट में आने लगे हैं। इस तरह की स्थिति को लेकर जगदंबा हार्ट केयर सेंटर के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश पंत कहते हैं कि अगर संतुलित व संयमित जीवशैली अपनाई जाए और नियमित खेलते-कूदते रहेंगे तो हार्ट अटैक के खतरे को टाला जा सकता है। यह सलाह डॉ. पंत रविवार को दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर में दे रहे थे। उन्होंने कुमाऊं भर से फोन करने वाले सुधी पाठकों को हार्ट की बीमारियों से बचने और उपचार के बारे में जानकारी दी।
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ये कारण हैं जो बढ़ा देते हैं हार्ट अटैक
- अत्यधिक स्मोकिंग व एल्कोहल
- फास्ट फूड का अधिक सेवन
- एंग्जाइटी व हाइपरटेंशन
- मोटापा व थायराइड
- परिवार में किसी को हार्ट अटैक होना
- मधुमेह अनियंत्रित होना
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ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान
- छाती में दर्द होना
- चलने से दर्द बढ़ना और रुकने पर कम होना
- बाई बाह की तरफ दर्द होना
- जबड़े की तरफ दर्द बढ़ना
- पसीना, घबराहट होना
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बचाव को अपनाएं सिक्स एस का फार्मूला
1-स्मोक- किसी तरह के नशे से दूर रहें।
2-शुगर-डायबिटीज अनियंत्रित न होने दें
3-सीडेंट्री लाइफ स्टाइल - निष्क्रिय न रहें।
4-साल्ट- नमक व तली-भुनी चीजों का प्रयोग कम करें
5-स्ट्रेस- बेवजह के तनाव से बचें।
6- सेनिटेशन -मन व तन की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।
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हर छाती का दर्द हार्ट अटैक नहीं
छाती में कई तरह के दर्द होते हैं। प्रत्येक छाती के दर्द को हार्ट अटैक का कारण नहीं मानना चाहिए। कई बार गैस व मसल्स पेन होने से भी सीने में तकलीफ होने लगती है।
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जाच और उपचार का ये है तरीका
सीने में दर्द होने पर सबसे पहले डॉक्टर क्लीनिकल परीक्षण करते हैं। जरूरत पड़ने पर ईसीजी, टीएमटी, ईकोकार्डियोग्राफी और एंजियोग्राफी की जा सकती है। हार्ट की नसें ब्लॉक होने पर एंजियोप्लास्टी व बायपास सर्जरी भी की जाती है। शुरुआती दौर में दवाइयों से ही बीमारी पर नियंत्रण किया जाता है।
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इन्होंने किया फोन
कृष्णानंद पिथौरागढ, भूपाल सिंह देउपा चकलुवा, गोविंद बोरा हल्द्वानी, लीला तिवारी रानीखेत, दीपक गौलापार, एसके मिश्रा गाधी आश्रम हल्द्वानी, पूरन सिंह अधिकारी रानीखेत, हाशिम बरखेडा पांडे, भुवन हल्द्वानी, भूपेंद्र तीन पानी हल्द्वानी, धीरेंद्र सिंह चम्पावत, भूपाल सिंह बिष्ट पीरूमदारा, मनोहर सिंह डीडीहाट, राजबाला शर्मा रुद्रपुर, हेम बिष्ट रानीखेत, इंद्र सिंह कौसानी, जगदीश हल्दूचौड़, शंकर दत्त जोशी मोटाहल्दू, हरबंश सिंह बाजपुर, सुरेश अमृतपुर, फतेह सिंह रूपनगर, गिरधारी लालकुआ, बेबी पिथौरागढ़, शिखा अल्मोड़ा, जुगल सिंह मेहता बागेश्वर, जगतार पिथौरागढ़ आदि ने फोन कर परामर्श लिया।