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जलवायु परिवर्तन पर संभव होगी सटीक भविष्यवाणी, खतरों से निपटने की दिखाएंगे राह

जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों और खतरों से निपटने में आधुनिक सिस्टम डायनेमिक मॉडल अहम भूमिका निभा सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 11:55 AM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 12:02 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन पर संभव होगी सटीक भविष्यवाणी, खतरों से निपटने की दिखाएंगे राह
जलवायु परिवर्तन पर संभव होगी सटीक भविष्यवाणी, खतरों से निपटने की दिखाएंगे राह

अल्मोड़ा [दीप सिंह बोरा]। जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों और खतरों से निपटने में आधुनिक सिस्टम डायनेमिक मॉडल अहम भूमिका निभा सकता है। अल्मोड़ा, उत्तराखंड स्थित जीबी पंत हिमालयन पर्यावरण शोध संस्थान के अलावा बेंगलुरु और कश्मीर विवि ने साझा प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। सिस्टम डायनेमिक मॉडल हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी हलचल पर पैनी निगाह ही नहीं रखेगा बल्कि पुराने व अद्यतन किए जाने वाले तमाम पर्यावरणीय आंकड़ों की गणना कर भविष्य की चुनौतियों और खतरों से आगाह भी करेगा।

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वैज्ञानिकों का दावा है कि यह तकनीक वैज्ञानिक रूप से सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम है, जिससे वैज्ञानिकों और नीति नियंताओं को त्वरित एवं कारगर कदम उठाने का विकल्प मिलेगा। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत उत्तराखंड व जम्मू कश्मीर से की जा रही है ताकि तापवृद्धि की वैश्विक चुनौती से निपटने को ठोस नीति तैयार की जा सके।

जीबी पंत हिमालयन पर्यावरण विकास एवं शोध संस्थान के वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक प्रो. किरीट कुमार ने बताया कि तापवृद्धि का ही नतीजा है कि हिमालय की तलहटी में उगने वाली वनस्पति एवं जड़ी बूटी मध्य हिमालय की ओर शिफ्ट हो रही हैं। जबकि मध्य हिमालय में उगने वाली वनस्पतियां उच्च हिमालयी क्षेत्र के अनुकूल होने लगी हैं। इस स्थित पर बारीक नजर रखे जाने की आवश्यकता है साथ ही कारकों व उपायों को भी चिन्हित किया जाना होगा।

लिहाजा जीबी पंत हिमालयन पर्यावरण विकास एवं शोध संस्थान कोसी कटारमल, अल्मोड़ा, काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च बंगलुरु के फोर्थ पैराडाइम इंस्टीट्यूट व कश्मीर विवि के वैज्ञानिक मिलकर इस प्रोजेक्ट के तहत शोध में जुट गए हैं। प्रो. किरीट ने बताया कि पहले चरण में उत्तराखंड व जम्मू कश्मीर में पानी एवं कृषि पर शोध कर वर्षों पुराने तथा मौजूदा आंकड़े जुटाए जाएंगे ताकि पता लग सके कि जलवायु परिवर्तन व तापवृद्धि से इन राज्यों में नदियों, भूमिगत जल भंडार, जल स्नोतों, पोखरों के पानी और फसलों व वनस्पतियों पर कितना दुष्प्रभाव पड़ा है।

डाटा के संकलन के बाद इसे कंप्यूटर गणना आधारित सिस्टम डायनेमिक मॉडल में फीड किया जाएगा। खत्म हो रहे भूगर्भीय जलतल, सूखते रिचार्जजोन, सहायक नदियों व स्नोतों के कारण दम तोड़ती नदियां, जलवायु परिवर्तन का मौसम व ऋतु चक्रपर सीधा प्रभाव, तापवृद्धि के तुलनात्मक और आंकड़े, इससे फसल और उत्पादकता पर पड़ने वाले प्रभाव आदि पर रिपोर्ट देगा। रिपोर्ट के आधार पर हिमालयी राज्यों के लिए जलवायु परिवर्तन के मूल कारण व बचाव के तरीके सुझाए जाएंगे।

यह मॉडल जलवायु परिवर्तन, इससे जुड़ी चुनौतियों और खतरों की सटीक जानकारी के साथ चुनौतियों का सामना करने के उपाय भी प्रस्तुत करेगा। यह हमारी निर्णय क्षमता को और बढ़ाएगा। किसी भी चुनौती से निपटने को हम जो नीति बना रहे हैं, उसका क्या परिणाम रहेगा या उसमें क्या सुधार करना है, हम सटीक निर्णय ले सकेंगे। तीन वर्ष के इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। निश्चित ही सुखद परिणाम मिलेंगे।

- प्रो. किरीट कुमार, वरिष्ठ शोध

वैज्ञानिक, जीबी पंत हिमालयन पर्यावरण विकास एवं शोध संस्थान, कोसी

कटारमल, अल्मोड़ा 


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