वन पंचायत की भूमि पर अतिक्रमण का हक नहीं
रैखोली वन पंचायत की भूमि पर अवैध कब्जा कर रातों रात टिनशेड डालने के मामले में अपर जिला जज ने अतिक्रमणकारी की अपील खारिज कर दी।
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : रैखोली वन पंचायत की भूमि पर अवैध कब्जा कर रातों रात टिनशेड डालने के मामले में अपर जिला जज आरके श्रीवास्तव ने अतिक्रमणकारी की अपील को खारिज कर दिया। साथ ही प्रकरण में विहित प्राधिकारी (परगना मजिस्ट्रेट) के बेदखली आदेश को सही ठहरा उस तर्क को भी मानने से इन्कार कर दिया जिसमें अपीलार्थी की ओर से कहा गया था कि बेदखल कराने का अधिकार वन पंचायत को है।
मामला बीते वर्ष का है। रैखोली गांव (हवालबाग ब्लॉक) में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर रातों रात टिनशेड का निर्माण करा दिया गया था। शिकायत पर राजस्व उपनिरीक्षक ने आरोपित रवींद्र सिंह का चालान काट विहित प्राधिकारी को रिपोर्ट भेजी। इस पर विहित प्राधिकारी ने बेदखली का आदेश जारी किया। चूंकि जमीन वन पंचायत के नाम पर दर्ज है, लिहाजा अतिक्रमणकारी ने आधार दिया कि वन पंचायत सरपंच ही उसे अतिक्रमण से बेदखल कर सकता है। विहित प्राधिकारी के आदेश को गलत ठहरा उसने अपर जिला जज की अदालत में अपील दायर की। राज्य सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता पंकज सिंह लटवाल ने ठोस तर्को के साथ दलील दी। विहित प्राधिकारी के आदेश, पत्रावली का अवलोकन तथा दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने रवींद्र सिंह की अपील निरस्त कर दी। साथ ही राज्य सरकार के पक्ष में अपना फैसला दिया।
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कोर्ट ने कहा, स्वामित्व राज्य सरकार का ही
अपर जिला जज ने निर्णय दिया कि जिस भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, वह राज्य सरकार की है। स्वामित्व भी सरकार का ही है। उसके प्रबंधन के लिए वन पंचायत गठित की गई है। रवींद्र सिंह को कोई अधिकार नहीं है कि वह वन पंचायत या राज्य सरकार की भूमि पर अतिक्रमण करे। दूसरा, विहित प्राधिकारी के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने वाले रवींद्र सिंह ने स्वीकारा था कि उसके पिता की ओर से टिनशेड वन पंचायत की भूमि पर बनाया गया है।