आतिशबाजी का धुआं व शोर मानव के लिए खतरनाक
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : पंच पर्व दीपावली पर होने वाली ज्यादा आतिशबाजी मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण्
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : पंच पर्व दीपावली पर होने वाली ज्यादा आतिशबाजी मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर गहरा असर डालती है। इस तथ्य से सभी वाकिफ हैं, लेकिन त्योहार के उल्लास में हर कोई पर्यावरण संरक्षण की चिंता किए बगैर अधिकांश लोग आतिशबाजी में मशगूल रहते हैं। लोगों की इसी अनदेखी से आज प्रदूषण की समस्या तेजी से गहराती जा रही है।
पर्यावरण वैज्ञानिकों तथा चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है यदि मानवीय गलतियों से पर्यावरण इसी तरह तेजी से प्रदूषित होता चला जाएगा तो इसका खामियाजा किसी ने किसी रूप में सभी को भुगतना पड़ेगा। पर्यावरण वैज्ञानिकों का कहना है कि दीपावली पर्व पर होने वाली आतिशबाजी के दौरान निकलने वाली हानिकारक गैसों से पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ता है। ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते दबाव से वायु मंडलीय ओजोन परत को भी नुकसान पहुंच रहा है। अधिक मात्रा में आतिशबाजी से वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड व कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों की मात्रा तेजी से बढ़ जाती है, जो मानव व पशु स्वास्थ्य, पर्यावरण तथा वनस्पतियों आदि के लिए बहुत हानिकारक होती है।
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गैसों के उत्सर्जन से होने वाली हानियां
-गैसों से औसत तापमान में तेजी से वृद्धि
-मौसम चक्र में बदलाव से सूखे का खतरा
-दुर्लभ जड़ी-बूटियों व औषधीय वनस्पतियों पर दुष्प्रभाव
-हानिकारक गैसों से ओजोन परत को नुकसान
-वातावरण में धुंध फैलने से सांस लेने में दिक्कत
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आतिशबाजी के धुंए से बुजुर्गो को अस्थमा की शिकायत बढ़ जाती है। साथ ही तेज पटाखों की आवाज से बच्चों के कान के परदे फटने का भी खतरा रहता है। वहीं चिकित्सालयों में भर्ती मरीजों पर भी किसी न किसी प्रकार आतिशबाजी का असर पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण के और भी कई खतरे हैं। दहशत के मारे वन्य जीव भी घबराने लग जाते हैं और कई ¨हसक बन जाते हैं। बच्चों को आतिशबाजी के शोर से दूर रखना ही श्रेयस्कर है। आतिशबाजी के संबंध में उच्चतम न्यायालय का आदेश स्वागतयोग्य है।
-डॉ. जेसी दुर्गापाल, पूर्व स्वास्थ्य निदेशक, कुमाऊं मंडल
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बम पटाखों से आतिशबाजी के दौरान निकलने वाला बारुद, धुंआ व कार्बन के कण लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालते हैं। इससे एलर्जी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। साथ ही अस्थमा का खतरा भी रहता है। बम पटाखों की धमाकों की आवाज से कानों की श्रवण क्षमता पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। वायु मंडल में गैसों की मात्रा बढ़ जाती है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
-डॉ. सुब्रत शर्मा, पर्यावरण विज्ञानी