किसानों की मजबूती से ही बनेगा उन्नत पर्वतीय राज्य : डॉ. पट्टनायक
अल्मोड़ा के हवालबाग में विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (वीपीकेएएस) के तत्वावधान में किसान मेले का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : निदेशक विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (वीपीकेएएस) डॉ. अरुणव पट्टनायक ने कहा, प्रदेश का विकास किसानों की मजबूती से ही होगा। पर्वतीय खेती को बढ़ावा व उन्नत बनाने के लिए संस्थान लगातार शोध कार्यो में लगा है। हरेक किसान तक लाभ पहुंचे यही अनुसंधान संस्थान का मकसद है।
डॉ. पट्टनायक शुक्रवार को वीपीकेएएस के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र हवालबाग में लगे किसान मेले में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कृषि व संबंधित विभागों का इस दिशा में एक मंच पर आने को सुखद संकेत बताया। आह्वान किया कि विभिन्न स्टॉलों पर उपलब्ध उन्नत बीजों का किसान प्रयोग कर गावों में प्रेरक का काम करें। उन्होंने बंदरों को भगाने के लिए तैयार एग्री केनन गन के प्रयोग को सफल बताते हुए कहा कि यह किसानों के लिए कारगर साबित होगी। ===================
परंपरागत फसलों का संरक्षण जरूरी : डॉ. रावल
निदेशक जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध एवं सतत् विकास संस्थान कोसी कटारमल डॉ. आरएस रावल ने पर्वतीय क्षेत्रों में परंपरागत फसल प्रजातियों के संरक्षण पर जोर दिया। कहा कि यह संस्थान पर्वतीय कृषि को उन्नत बनाने के लिए अहम भूमिका निभा रहा। इससे पलायन रोक खेती को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
============= बेहतरी को मिल कर काम करें: डॉ. भट्ट
पूर्व निदेशक वीपीकेएसस डॉ. जेसी भट्ट ने पहाड़ की खेती व किसानों की बेहतरी के लिए सभी सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं से समेकित प्रयास का आह्वान किया। साथ ही संस्थान को मिले अवार्ड को बड़ी उपलब्धि बताया। ================
पीएम सम्माननिधि से जुड़े 75 हजार किसान : डॉ. प्रियंका
मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. प्रियंका सिंह ने विभागीय योजनाएं गिनाई। कहा कि पीएम सम्मान निधि से अब तक 75 हजार किसान जोड़े जा चुके हैं। इसके तहत प्रत्येक किसान किस्तवार छह हजार रुपया सालाना मिल रहा। जिले की 95 न्याय पंचायतों में इतने ही वितरण केंद्रों से 50 फीसद अनुदान में उन्नत बीज मुहैया कराए जा रहे। उन्होंने संस्थान के प्रयासों को सराहनीय बताया। वहीं प्रभारी केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान डॉ. राजनारायण ने विभिन्न शीतोष्ण फलों एवं सब्जियों की खेती के लिए प्रेरित किया। ===============
95 वर्षो में 158 प्रजातियां तैयार
प्रभागाध्यक्ष फसल सुधार विभाग डॉ. लक्ष्मी कांत ने पहाड़ की खेती की उन्नति को संस्थान की विविध गतिविधियां गिनाई। कहा कि पिछले 95 वर्षो से संस्थान 17 प्रमुख फसलों पर शोध कार्य कर रहा। अब तक कुल 158 प्रजातियां तैयार की जा चुकी। उन्नत प्रजातियों की किस्मों का विकास, समेकित नाशी जीव प्रबंधन, जल संरक्षण व कृषि प्रसार को लगातार शोध कार्य किए जा रहे। ================
गेहूं व जौ की नई प्रजातियां विकसित
वीपीकेएएस ने इस वर्ष नई प्रजातियों वीएल गेहूं 967 व जौं 130 का विमोचन किया। प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया। अनुसूचित जाति उपपरियोजना के तहत समूहों के लिए संस्थान में विकसित विवेक मंडुवा थ्रैसर कम पर्लर बांटे गए। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तमाम संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों, सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों ने प्रदर्शनी लगाई। ================
सीमांत नीति ने दिया औषधीय खेती का संदेश
किसान मेले में चीन सीमा से लगे देश के अंतिम गांवों में शुमार नीती गांव से 34 सदस्यीय मेहनतकश महिला किसानों का दल भी पहुंचा। टीम लीडर मंजू देवी की अगुवाई में लगा स्टॉल खास आकर्षण रहा। इसमें उच्च हिमालयी क्षेत्रों की जंबू, गंधरैणी, कटुकी आदि उत्पाद खूब खरीदे गए। नीति के साथ ही राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 700 किसान पहुंचे। गोष्ठी में पर्वतीय खेती से जुड़ी अहम जानकारियां दी गई। किसानों की समस्याओं का मौके पर निदान भी किया गया। संचालन डॉ. निर्मल चंद्रा, डॉ. कुशाग्रा जोशी व डॉ. जेके बिष्ट ने संयुक्त रूप से किया।