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बंदरों से जंगली जानवरों से निपटने की बनाएंगे कारगर रणनीति

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : हाई कोर्ट के बाद दोबारा चार्ज पर आए डीएफओ पंकज कुमार ने बत

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 03:22 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 03:22 PM (IST)
बंदरों से जंगली जानवरों से निपटने की बनाएंगे कारगर रणनीति
बंदरों से जंगली जानवरों से निपटने की बनाएंगे कारगर रणनीति

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : हाई कोर्ट के बाद दोबारा चार्ज पर आए डीएफओ पंकज कुमार ने बताया कि बंदरों की समस्या से निपटने के लिए कारगर रणनीति विभाग बनाएगा। यहां शहर में इनकी धमाचौकड़ी व हमले की घटनाओं से लोग भयभीत हैं। ऐसी योजना पर काम चल रहा है कि इनका बधियाकरण के साथ ही ऐसी रणनीति बनाई जा रही है कि इनके अंदर बच्चे पैदा करने की क्षमता को कुछ समय तक रोक दिया जाए।

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डीएफओ पंकज कुमार ने बताया कि विभाग की तरफ से जहां कोसी पुनर्जनन में विशेष सहयोग दिया जा रहा है। इसके लिए एक लाख 5 हजार पौधों का रोपण किया जाना है। वहीं बंदरों व जंगली जानवरों से निपटने की रणनीति भी बनाई जा रही है। उनका कहना था कि बंदरों की समस्या फिलहाल मुख्य तौर पर सामने आ रही है। इसके लिए दूसरे जिलों व प्रदेशों में इनसे निपटने के लिए अपनाई जा रही विधियों पर भी फोकस है। ताकि एक बीच का रास्ता निकाल कर इनको भी बिना किसी नुकसान पहुंचाए समस्या का समाधान हो सके। पंकज कुमार ने बताया कि फिलहाल वन विभाग पर्यावरण व कोसी पुनर्जनन क्षेत्र में बड़ी संख्या में तार-बाड़ व रिचार्ज जोन बनाए जाने के काम में अपना सहयोग दे रहा है। इसमें रोड के किनारे लगाए गए पौधों को बचाने के लिए ट्री गार्ड लगाए जा रहे हैं। इसमें स्थानीय जनता का भी सहयोग लिया जा रहा है।

स्टाफ व बजट की कमी बन रही बाधा

डीएफओ ने बताया कि बंदर मानव संघर्ष या गुलदार सहित दूसरे जंगली जानवरों से आम आदमी की सुरक्षा के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ योजनाओं के लिए बजट सहित स्टाफ की समस्या सामने आ रही है। इससे भी इनको लागू करने में समस्या आ रही है। विभाग इन परिस्थितियों में भी कोई न कोई रास्ता निकालकर सुरक्षा के लिए बेहतर प्रयास करेगा। इसके साथ ही मानव व जंगली जानवरों के बीच बढ़ रहे संघर्ष को लेकर जागरूकता अभियान भी सामाजिक संगठनों के माध्यम से आयोजित किए जाने हैं। ताकि हम इनके बीच में ही रहने के लिए खुद को तैयार कर सकें। क्योंकि इनका भी जीवन हमारे बीच में ही बीतना है। ऐसे में हमें खुद को इनके साथ जीने की आदत डालनी होगी।


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