पशु बलि जागरूकता अभियान के दौरान बवाल
संवाद सहयोगी अल्मोड़ा नवरात्र में चितई ग्वेल देवता के मंदिर में गायत्री परिवार के तत्वावधान में
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : नवरात्र में चितई ग्वेल देवता के मंदिर में गायत्री परिवार के तत्वावधान में पशु बलि उन्मूलन को लेकर चलाया जा रहा जागरूकता अभियान शनिवार को भी जारी रहा। अभियान के दौरान उस समय बखेड़ा खड़ा हो गया जब एक ग्रामीण मंदिर परिसर में बकरी ले जाने की जिद पर अड़ गए। बाद में पुलिस की मध्यस्थता के बाद मामला शांत हुआ।
गायत्री परिवार की ओर से नवरात्र के मौके पर पिछली छह अप्रैल से पशु बलि उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में शनिवार को भी गायत्री परिवार के सदस्य सुबह ही मंदिर पहुंच गए। गायत्री परिवार के जनजागरूकता कार्यक्रम से प्रभावित होकर दो लोग तो बलि को लाए बकरे वापस ले गए, लेकिन ठाणा मटेना से पहुंचे एक ग्रामीण बकरी को मंदिर परिसर में ले जाने की जिद पर अड़ गया। साथ ही गायत्री परिवार के सदस्यों के साथ अभद्रता की। गायत्री परिवार की ओर से इस मामले की जानकारी पुलिस को दी गई। गायत्री परिवार की ओर से कहा गया है कि वह मंदिर में पशु बलि के उन्मूलन के लिए सन 2002 से मंदिर में जनजागरूकता अभियान चला रहा है। इस अभियान से लोगों में जागरूकता आई है।
इधर ठाणा मटेना के ग्रामीण देवेंद्र लाल का कहना है कि वह समीपवर्ती बाड़ेछीना से बकरी खरीद करके अपने घर की ओर जा रहे थे। चितई में मंदिर दर्शन के लिए गाड़ी रोकते ही गायत्री परिवार के सदस्यों ने उनकी बकरी को जब्त कर लिया। उन्होंने गायत्री परिवार के सदस्यों पर अभद्रता का भी आरोप लगाया। इस मामले पर ग्रामीण देवेंद्र लाल की ओर से भी एनटीडी पुलिस चौकी प्रभारी को ज्ञापन दिया गया।
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सुलझा लिया गया विवाद : कोतवाल
कोतवाल एके वर्मा ने बताया कि चितई मंदिर परिसर में बलि प्रथा पूर्णत: प्रतिबंधित है। लेकिन इस मामले में शनिवार को कुछ विवाद हो गया। उन्होंने गायत्री परिजनों को समझाया कि यदि मंदिर परिसर में पशु बलि दी जाती है तो वह प्रतिबंधित है। लेकिन किसी की बकरी को जबरन जब्त करने का अधिकार किसी को नहीं है। उन्होंने कहा कि समझाने पर गायत्री परिजन ग्रामीण को उसकी बकरी लौटाने के लिए राजी हो गए हैं।