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दिव्यांग गरीमा ने हौसले से बनाई नजीर

पर्वतीय क्षेत्रों की विपरीत परिस्थितियों के बीच बेटियों के हौंसले और जज्बे दुनिया भर में नजीर बने हैं। चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों लेकिन मेहनत और लगन से हमेशा मंजिले मिल ही जाती हैं। रानीखेत के चिलियानौला निवासी विकलांग हो चुकी धाविका गरिमा जोशी ने यह साबित किया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 06:56 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 06:56 PM (IST)
दिव्यांग गरीमा ने हौसले से बनाई नजीर
दिव्यांग गरीमा ने हौसले से बनाई नजीर

यासिर खान, अल्मोड़ा

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पर्वतीय क्षेत्रों की विपरीत परिस्थितियों के बीच बेटियों के हौंसले और जज्बे दुनिया भर में नजीर बने हैं। चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों लेकिन मेहनत और लगन से हमेशा मंजिले मिल ही जाती हैं। रानीखेत के चिलियानौला निवासी विकलांग धाविका गरिमा जोशी ने यह साबित किया है। दुर्घटना में घायल होने के बाद दिव्यांग होकर भी गरिमा ने हौसला नहीं छोड़ा। उनके नाम कई उपलब्धियां रहीं। इस हाल में भी वह देश के साथ दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते आई हैं।

मूलरूप से छतगुल्ला (द्वाराहाट) निवासी गरिमा जोशी का जन्म 21 अक्टूबर 1998 को चिलियानौला में हुआ था। केंद्रीय विद्यालय रानीखेत से इंटर की परीक्षा पास करने के साथ ही विद्यार्थी जीवन से ही वह खेल-कूद सहित विभिन्न गतिविधियों में अव्वल रहीं। उन्होंने कई पदक और पुरस्कार भी अपने नाम किए। 31 मई 2018 को बंगलुरु में अभ्यास के दौरान एक अज्ञात वाहन की टक्कर से उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। जिसके बाद से अब तक गरिमा व्हील चीयर में ही है। इसके बाद भी पहाड़ की बेटी ने हार नहीं मानी। गरिमा ने व्हील चीयर दौड़ सहित विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और कई पदक भी अपने नाम किए।

उत्तराखंड की परी के नाम से हैं प्रसिद्ध

धाविका गरिमा जोशी ने 27 मई 2018 को बैंगलुरू में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मैराथन दौड़ में भारत के टाप छह खिलाड़ियों की रैंक में अपना नाम दर्ज कराया। इस दौड़ में 42 देशों से कुल 11 हजार 500 खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया। इसके बाद से उन्हें उत्तराखंड की परी के नाम से जाना गया। इस प्रतियोगिता के चंद दिनों बाद 31 मई को बंगलुरू में दुर्घटना हुई।

उत्तराखंड से नहीं खेलने का भी ले चुकी हैं पूर्व में निर्णय

हादसे में घायल हुई उत्तराखंड की धाविका गरिमा जोशी के इलाज के लिए उनके पिता ने कई बार प्रदेश सरकार से गुहार लगाई। लेकिन सरकार ने घायल के इलाज का पूरा खर्च उठाने का आश्वासन देकर भी मदद नहीं की। जिसपर गरिमा ने दो साल पूर्व उत्तराखंड से नहीं खेलने का भी निर्णय लिया।

ये उपलब्धियां है गरिमा के नाम

- 2014 में केंदीय विद्यालय संगठन देहरादून में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने के साथ राष्ट्रीय स्तर पर चयनित।

- 2014 में ही अहमदाबाद में राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण, रजत और कांस्य जीता।

- 2016 में देहरादून हाफ मैराथन में दूसरे स्थान पर रही।

- 2017 करनाल में मैराथन में दूसरे स्थान पर।

- 2017 में ही पंजाब में आयोजित मैराथन में प्रथम स्थान प्राप्त किया।

- 2018 में अंतरराष्ट्रीय मैराथन दौड़ में भारत के टाप 6 खिलाड़ी बनी।

- नेहरू स्टेडियम में व्हीलचेयर दौड़ में दूसरा स्थान।

- दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में व्हीलचेयर 21 किमी मैराथन में दूसरा स्थान।

- दिल्ली में शहीद चंद्र शेखर आजाद के भतीजे ने शान ए हिद पुरस्कार से नवाजा।


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