'ताजमहल का टेंडर' से भ्रष्टाचार पर चोट
संवाद सहयोगी, रानीखेत : मुगल सल्तनत की विश्व को प्रदान अप्रितम रचना ताजमहल का निर्माण किन परिस्थिि
संवाद सहयोगी, रानीखेत : मुगल सल्तनत की विश्व को प्रदान अप्रितम रचना ताजमहल का निर्माण किन परिस्थितियों में हुआ, शाहजहा की हठ अथवा कल्पनाशीलता का तत्कालीन प्रभाव कितना दर्द भरा रहा, यह अलग पहलू है। मगर यह स्मारक विश्व के लिए आज भी अजूबा है। इस इमारत को तैयार करने वाले ईमानदार शिल्पियों के हालांकि शाहजहां ने हाथ कटवा दिए थे। मगर इसी इमारत की नीव 21वीं सदी में रखी गई तो भ्रष्टाचार के दीमक ने ढांचा खड़ा ही न होने दिया।
'ताजमहल का टेंडर' नाटक के जरिये मुगलकाल की इस धरोहर को केंद्र में रख कलाकारों ने मौजूदा भ्रष्ट तंत्र पर कुछ ऐसे ही कटाक्ष किए। कैंट इंटर कॉलेज सभागार में नाटक की शुरुआत शाहजहा के सपने से ही होती है। वह सरकारी एजेंसी सीपीडब्ल्यूडी के अभियंता से संपर्क करता है। आगणन, नाप जोख, यात्राएं, मीटिंग, नेता जी के साथ सेटिंग-गैटिंग, किटकनदारों की भूमिका, अप्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान आदि के कायरें में उलझे शाहजहा की चौथाई सदी टेंडर निकालने में ही गुजर जाती है। शहंशाह शाहजहा वर्तमान तंत्र के पुजरें में कैसा उलझ जाता है, अजय गुप्ता की कहानी पर आधारित यह नाटक बखूबी दिखाता है। वहीं भ्रष्टाचार की परतें भी उघड़ती चली जाती हैं और ताजमहल का निर्माण अधर में लटक जाता है। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ सभासद बिंदु रौतेला व संजय पंत ने संयुक्त स्प से किया।
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ये रहे कलाकार :
शाहजहा- अरशद हुसैन, दरबारी- अंबर और अहमद, गुप्ताजी- अरमान अंसारी, सुधा- खुशबू किरौला, भय्याजी- शोबी हुसैन, नेताजी एक- शिवम गुलजार, नेताजी दो ज्योति वर्मा, सेठी साहब- च्योति आर्या, शर्माजी-सुमित कुमार, चौकीदार- शुभ वर्मा और अखबार वाला- अभिषेक कुमार।
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ये रहे मौजूद
संस्कृति कर्मी कैलाश पांडे, होटल एसो अध्यक्ष हिमांशु उपाध्याय, प्रधानाचार्य ललित मोहन, एलडी उप्रेती, उमा उपाध्याय, जयंत रौतेला, विमल सती, यतीश रौतेला आदि। संचालन मंजू पुजारी ने किया।