भारतीय संस्कृति व इसके वैश्विक प्रभाव पर हुआ मंथन
संवाद सहयोगी अल्मोड़ा एसएसजे परिसर के इतिहास विभाग के तत्वावधान में आयोजित भारतीय संस्कृ
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : एसएसजे परिसर के इतिहास विभाग के तत्वावधान में आयोजित भारतीय संस्कृति तथा इसके वैश्विक प्रभाव पर चल रहे सेमिनार में दूसरे रोज भारतीय संस्कृति पर विस्तार से चर्चा की गई। इस मौके पर 56 शोध पत्र भी पढ़े गए।
चित्रकला विभाग के सभागार में हुए प्रथम पत्र में जर्मनी से पहुंची डॉ. मारिया वृत्त, अलीगढ़ से प्रो. वाईए खान, प्रो. दया पंत, प्रो. पीके मेहता, डॉ. सीपी फुलोरिया, आस्था नेगी, प्रेमा बिष्ट, भावना जुयाल, डॉ. लक्ष्मी धस्माना, डॉ. बीना उनियाल तिवारी, डॉ. ईरा सिंह, डॉ. ऊषा पाठक समेत अनेक लोगों ने अपने -अपने शोध पत्रों का प्रभावी प्रस्तुतिकरण किया। सेमिनार के द्वितीय व आखिरी सत्र में मुख्य अतिथि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक वाईए खान ने इस्लाम धर्म में पर्यावरण व उसका वैश्विक प्रभाव पर विस्तार से जानकारी दी। विशिष्ट अतिथि चितरंजन दास ने कहा कि भारतीय संस्कृति की वैश्विक प्रासंगिकता के कारण ही भारत को पूर्व में विश्व गुरु का स्थान प्राप्त था। इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. विद्याधर सिंह नेगी ने कहा कि इस प्रकार के सेमिनार न केवल विभाग को नई पहचान दिलाते हैं, साथ ही युवा शोधार्थियों को शोध प्रस्तुतिकरण का अवसर भी प्रदान करते हैं। सेमिनार आयोजक सचिव प्रो. संजय टम्टा ने भारतीय संस्कृति के मूल्यों को अपने जीवन में स्थान देने का आह्वान किया। इस मौके पर सेमिनार के निदेशक प्रो. सीएम अग्रवाल, प्रो. दया पंत, डॉ. चंद्र प्रकाश फुलोरिया समेत एसएसजे परिसर के अनेक प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र-छात्राएं मौजूद थे।