'अनपढ़' प्रधान ने हिलाई पांडेकोटा की छोटी सरकार
संवाद सहयोगी, रानीखेत : सोहावल ब्लॉक की तहसीनपुर ग्राम पंचायत (फैजाबाद) की महिला प्रधान
संवाद सहयोगी, रानीखेत : सोहावल ब्लॉक की तहसीनपुर ग्राम पंचायत (फैजाबाद) की महिला प्रधान के पुत्र का मनरेगा मजदूर होना तो समझ में आता है। मगर अनपढ़ मजदूर को गांव का मुखिया बना दिया जाए तो..! ताड़ीखेत विकासखंड के पांडेकोटा गांव की छोटी सरकार में इन दिनों इसी उलझन में फंसी है। पूर्व प्रधान के निधन के बाद खाली हुए पद को भरने के लिए ग्रामीणों ने जिस गरीब श्रमिक को कुर्सी सौंपी, उसने खुद को अयोग्य करार देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही बागडोर के साथ मुहर व बस्ता न सौंपे जाने की बात कह व्यवस्था पर सवाल भी खड़ा कर दिया। तर्क दिया कि लोग कागजातों में मुहर लगवाने धमक जाते हैं जो उसके पास है ही नहीं।
दरअसल, पांडेकोटा ग्राम पंचायत के प्रधान विमल बिष्ट का बीते नवंबर में निधन हो गया था। मुखिया का पद रिक्त होने पर अधिसूचना जारी हुई। नवंबर आखिर में ग्रामीणों ने एक राय होकर गांव के ही गिरीश चंद्र को निर्विरोध प्रधान घोषित कर दिया। ग्रामीण राजनीति व पंचायती राज से बिल्कुल अनजान गिरीश ने तब बागडोर संभाल भी ली। कुछ दिन तो ठीक ठाक चला। मगर बात जब ग्रामीण विकास, समस्याओं के समाधान कराने की आई तो प्रधान गिरीश उहापोह की स्थिति में आ गया। नतीजतन, दिसंबर व जनवरी का कार्यकाल जैसे तैसे चलाने के बाद हैरान परेशान प्रधान ने खुद को अयोग्य करार देते हुए बुधवार को खंड विकास अधिकारी बालम सिंह बिष्ट को अपना इस्तीफा सौंप दिया। कहा कि वह गरीब श्रमिक है और प्रधान का दायित्व संभालने में असमर्थ है।
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'यदि कोई निजी कारण बता पद से इस्तीफा देता है तो स्वीकार कर लिया जाएगा। इसमें कोई दिक्कत नहीं है। त्यागपत्र एडीओ पंचायत के जरिये हमें मिलेगा तो ही कोई कदम उठाएंगे। जून में पंचायत चुनाव हो जाएंगे। चार माह के लिए उप प्रधान को ही पांडेकोटा के नया प्रधान की जिम्मेदारी दी जाएगी।
- बीएस दुगताल, डीपीआरओ'
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'वर्तमान प्रधान गिरीश चंद्र ने आज मुझे अपना इस्तीफा सौंपा। उसका कहना है कि वह गरीब श्रमिक है। अनपढ़ भी है। प्रधान की जिम्मेदारी और नहीं उठा सकता। मैंने उसका इस्तीफा एडीओ पंचायत के पास भेज दिया है ताकि अग्रिम कार्यवाही की जा सके।
- बालम सिंह बिष्ट, बीडीओ'
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'मैं अनपढ़ हूं। वैसे ही गरीब हूं। मुझे अपना घर देखना है। लोग कागजों में मुहर लगवाने रोज पहुंच रहे। कहां कैसे लगाऊं। मुझे जब प्रधान बनाया गया तो मुहर दी ही नहीं गई। पढ़ा लिखा होता तो जिम्मेदारी संभाल लेता। काम कैसे करना है मुझे कुछ पता नहीं इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं।
- गिरीश चंद्र, प्रधान पांडेकोटा'