अस्तित्व बचाने की गुहार, पुनर्जनन में मदद की पुकार
दीप सिंह बोरा, रानीखेत जीवनदायिनी कोसी कुमाऊं के न्याय देवता गोलू महाराज को समर्पित क
दीप सिंह बोरा, रानीखेत
जीवनदायिनी कोसी कुमाऊं के न्याय देवता गोलू महाराज को समर्पित कर दी गई है। कौशकी को पुनर्जीवित कर उसकी अविरलता के लिए तंत्र व वैज्ञानिकों ने अस्तित्व के लिए जूझ रही कोसी को बचाने के लिए यांत्रिक व जैविक उपायों के साथ उसे नया जीवन देने के लिए लोक देवता की शरण ले मदद की पुकार लगाई गई है। लगे हाथ, दिसंबर पहले पखवाड़ा में पुनर्जनन महाअभियान के दूसरे चरण की तैयारी तेज कर दी गई है।
संकट के दौर से गुजर रही जीवनदायिनी कोसी को जियो स्पेशल चेयरप्रोफेसर राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र प्रो. जीवन सिंह रावत की शोध रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने कौशकी को पुनर्जीवित करने के लिए महाअभियान शुरू किया है। वर्षाकाल में हरेला पर्व पर ताकुला ब्लॉक स्थित कोसी के रिचार्ज जोन से इसका श्रीगणेश किया गया।
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गोलज्यू की शपथ ले दूसरे चरण की तैयारी
दूसरे चरण की तैयारी के साथ जिला प्रशासन, कोसी पुनर्जनन महाअभियान से जुड़े तमाम विभागाध्यक्ष व नोडल अधिकारियों ने न्याय देवता गोलू महाराज से कोसी का अस्तित्व बचाने की गुहार लगाई है। डीएम नितिन सिंह भदौरिया की अध्यक्षता में बाकायदा अधिकारियों व वैज्ञानिकों ने लोकभाषा में शपथ लेकर गोलज्यू महाराज से मदद की पुकार की।
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सूखे पौधों की जगह अब शीतकालीन पौधे
कोसी के सभी 14 रिचार्ज जोन में पूरी बरसात लगाए गए एक लाख से अधिक पौधों का सर्वे तेज हो गया है। जहां पौधे जिंदा नहीं रह सके, उनकी जगह अब दिसंबर मध्य से शीतकालीन पौधे लगाए जाएंगे। यह महाभियान फरवरी तक चलेगा। खास बात कि इसमें चौड़ी पत्ती के साथ फल प्रजातियों के पौधों को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
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माइक्रो प्लान बनाने को जुटे 14 नोडल अधिकारी
जीवनदायिनी को पुनर्जीवित करने के लिए बीते ढाई दशक से शोध व अध्ययन में जुटे प्रो. जीवन सिंह रावत की भौगोलिक सूचना विज्ञान पर आधारित रिपोर्ट को जरिया बना माइक्रो प्लान तैयार किया जा रहा। पांच विकासखंडों में फैले कोसी के 14 रिचार्ज जोन की निगरानी को नियुक्त इतने ही जिला स्तरीय नोडल अधिकारी दिसंबर प्रथम पखवाड़े में शुरू दूसरे चरण के महाअभियान की तैयारी को अंतिम रूप देने में लगे हैं।
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'जीवनदायिनी कोसी मानव सभ्यता की प्रतीक है। समय रहते इसे पुनर्जीवित करने को लगातार प्रयास करने होंगे। द्वितीय चरण का महाअभियान दिसंबर पहले पखवाड़ा में शुरू कर देंगे। शरदकालीन वर्षा के दौरान शीतकालीन पौधे लगाने को मुहिम छेड़ी जाएगी। साथ में यांत्रिक व जैविक उपाय भी किए जाएंगे।
- प्रो. जीवन सिंह रावत, वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक'