बजट मिला पूरा, फिर भी विकास अधूरा
बृजेश तिवारी, अल्मोड़ा प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा अवमुक्त
बृजेश तिवारी, अल्मोड़ा
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा अवमुक्त की गई धनराशि को लेकर पंचायती राज विभाग के अफसर और ग्राम प्रधान सकते में हैं। पैसा स्वीकृत होने के बाद भी जहां उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। वहीं अधिकारियों को केंद्र सरकार के मानक पूरे करने में लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं। ऐसे में अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या विकास के लिए स्वीकृत यह करोड़ों रुपये कहीं लैप्स तो नहीं हो जाएंगे।
पंचायतों को मजबूत करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने प्रदेश को चौदहवें वित्त के तहत करीब 188 करोड़ रुपये का बजट दिया है। जिसका पारदर्शिता से उपयोग हो सके इसके लिए इस धनराशि को पीएफएमएस योजना के तहत खर्च किया जाना है, लेकिन प्रदेश में अभी तक सत्तर फीसद ग्राम पंचायतों का ना तो डिजिटलाइजेशन हो सका है और न ही ग्राम प्रधानों को कम्प्यूटर और इंटरनेट का पूरा ज्ञान है। ऐसी स्थिति में ग्राम पंचायतों में अलग- अलग योजनाओं के लिए स्वीकृत यह धनराशि कैसे खर्च होगी। इसको लेकर ग्राम प्रधान सकते में हैं। ग्राम प्रधानों का कहना कि अधिकारी जहां इस धनराशि को लेकर अब तक उन्हें गुमराह करते आए हैं। वहीं अगले वर्ष पंचायत व लोकसभा के चुनाव भी होने हैं। इसलिए अगर समय से इस धनराशि को खर्च करने के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई तो विकास का यह पैसा लैप्स भी हो सकता है।
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योजना के तहत किस जिले को कितना मिला बजट
जिला - ग्राम पंचायतें - स्वीकृत धनराशि (करोड़ में )
अल्मोड़ा - 1166 - 206395
बागेश्वर - 416 - 89764
चमोली - 613 - 129094
चंपावत - 313 - 64119
देहरादून - 460 - 165212
हरिद्वार - 308 - 200164
नैनीताल - 511 - 123065
पौड़ी - 1212 - 220127
पिथौरागढ़ - 690 - 152166
रूद्रप्रयाग - 337 - 71796
टिहरी - 1036 - 176762
ऊधमसिंह नगर - 391 - 186673
उत्तरकाशी - 500 - 95613
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इन योजनाओं में खर्च होनी है धनराशि
जल आपूर्ति, सीवरेज तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सेप्टैज प्रबंधन सहित स्वच्छता, जल निकासी, सामुदायिक परिसंपत्तियों का रखरखाव, सड़कों, फुटपाथों, स्ट्रीट लाइट, कब्रिस्तान व श्मशान घाटों के रखरखाव में।
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क्या आ रही है दिक्कत
इस योजना के तहत पंचायतों में ग्राम प्रधान और पंचायत विकास अधिकारी संयुक्त रूप से इस खाते का संचालन करना है। विकास कार्यो के लिए जरूरी सामग्री की खरीददारी का भुगतान समेत श्रमिकों की मजदूरी भी ऑनलाइन ही की जाएगी। इसके लिए संबंधित वेबसाइट पर ग्राम, ब्लॉक और जिला स्तर पर रजिस्ट्रेशन भी करना होगा, लेकिन प्रदेश की सत्तर फीसद से अधिक ग्राम सभाओं में इंटरनेट की व्यवस्था न होने और ग्राम प्रधानों को कम्प्यूटर की जानकारी न होना मुसीबत बढ़ाने का काम कर रहा है।
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प्रदेश में पीएफएमएस योजना शुरू होनी है। जिसके तहत विकास कार्यो के सभी भुगतान ऑनलाइन ही किए जाएंगे, लेकिन हम अभी इस योजना की प्रारंभिक स्टेज में हैं। जिसमें प्रधानों व पंचायत राज अधिकारियों के हस्ताक्षर स्कैन करने समेत रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। समस्या को दूर करने के लिए केंद्र से सलाह मशवरा किया जा रहा है।
-मनोज कुमार तिवारी, सहायक निदेशक, पंचायती राज विभाग, देहरादून