पुराने सहारे तोड़े, नए सिर्फ कागजों में उतारे
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : सूबे की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में गरीब और असहाय लोगों के र
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : सूबे की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में गरीब और असहाय लोगों के रहने के लिए बनाई गई धर्मशालाएं जिम्मेदार लोगों ने पुनर्निर्माण के नाम पर तोड़ तो दी। लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी इन धर्मशालाओं का निर्माण नहीं हो पाया है। जिस कारण दूरदराज से आने वाले लोगों को अब काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
सूबे की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में प्रतिदिन कई वीवीआइपी यहां अलग अलग काम से आते हैं। उनके रहने खाने के लिए भी प्रशासन ने यहां तमाम बेहतरीन व्यवस्थाएं की हैं। लेकिन दूरदराज से आने वाले गरीब और असहाय लोगों के रहने के लिए नगर में कोई व्यवस्था नहीं है। पहले दूरदराज से आने वाले गरीब और असहाय लोगों के लिए यहां बाजार के बीचों बीच मुंशी हरि प्रसाद टम्टा ने नाम से एक धर्मशाला का निर्माण किया गया था। लेकिन पालिका ने धर्मशाला के पुनर्निर्माण के नाम पर इस धर्मशाला को ध्वस्त कर दिया। धर्मशाला निर्माण के लिए कुछ पैसा भी मिला, लेकिन तत्कालीन जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के चलते वह पैसा भी धर्मशाला निर्माण के काम नहीं आ पाया। ऐसा नहीं है कि अल्मोड़ा नगर में धर्मशाला की जरूरत को सियासतदार महसूस नहीं करते। लेकिन उसे अस्तित्व में लाने के बजाय अब राजनीतिक दलों ने इसे चुनावी मुद्दा बनाकर रख दिया है। हर राजनीतिक दल चुनावों से पहले मुंशी हरि प्रसाद की स्मृति में बनने वाली धर्मशाला का अपने चुनावी एजेंडे में रखते हैं। लेकिन सत्ता में आने के बाद किसी को अपने वायदों की याद नहीं रहती। धर्मशाला निर्माण के प्रस्ताव आज भी फाइलों में धूल फाक रहे हैं। सियासतदारों की बेरूखी का ही परिणाम है कि आज दूरदराज से किसी काम से जिला मुख्यालय पर आने वाले गरीब लोगों को यहां रहने के लिए काफी महंगे दामों में होटल किराए पर लेने पड़ते हैं या फिर पूरी रात सड़कों पर बेबसी में काटनी पड़ती है।
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मुंशी हरि प्रसाद टम्टा धर्मशाला के निर्माण की मांग समिति द्वारा कई बार की गई। लेकिन हमेशा निराशा ही हाथ लगी है। इस धर्मशाला के निर्माण के बाद गरीब और असहाय लोगों को रहने का सहारा मिल सकता था। लेकिन कोई इस ओर गंभीर नहीं है। शीघ्र कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो समिति इस मामले में पीआईएल दाखिल करने रणनीति तैयार करेगी।
-सचिन टम्टा, सचिव, मुंशी हरि प्रसाद टम्टा समिति, अल्मोड़ा