किसानों को बताए वैज्ञानिक विधि से बुआई के लाभ
ग्रामीणों को खेती से जोड़ आत्मनिर्भर बनाने को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने प्रशिक्षण दिया।
संवाद सहयोगी, रानीखेत : ग्रामीणों को खेती से जोड़ आत्मनिर्भर बनाने को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार तथा हिमालयन ऑर्गेनाइजेशन फॉर प्रोटेक्टिंग एनवायरमेंट (होप) के संयुक्त तत्वाधान में ताड़ीखेत ब्लॉक के पाच गावों में खरीफ फसल की वैज्ञानिक विधि से बुआई की गई। इस दौरान मास, गहत, भट्ट की उन्नत खेती के तकनीक की विस्तार से जानकारी दी गई।
ताड़ीखेत ब्लॉक के शिलंगी, हिड़ाम, बयेड़ी, मटेला मनिहार व सोंखोला आदि गांवों में खरीफ मौसम में बोई जाने वाली गहत, मास, भट्ट की वैज्ञानिक विधि से बुआई की गई। होप संस्था के प्रकाश जोशी ने उन्नत तकनीकों के बारे में जानकारी देते हुए किसानों को प्रति नाली गोबर की खाद व बायोफर्टिलाइजर की जानकारी दी। कहा कि गोबर की खाद खेत में डालकर मिट्टी व खाद को मिलाने के लिए दो बार जुताई पर जोर दिया। उन्होंने गोबर की खाद के फायदे बताते हुए कहा कि इससे जहां खेत में पानी शोषण क्षमता बढ़ जाती है। वहीं उत्पादन भी जैविक होता है। लाइन में बुआई करने से बीज की मात्रा कम और उत्पादन अधिक होता है। सखोला गाव के किसान काशीराम ने कहा कि पूर्व में वह प्रति नाली तीन से चार किलो बीज की बुआई करते थे। पर लाइन से बुआई करने से मात्र 800 से 900 ग्राम बीज ही लगता है। इस दौरान किसान राजेंद्र प्रसाद, धनीराम, नरेंद्र समेत कई किसान मौजूद रहे।