गर्मी शुरू होते ही सूखने लगे ग्रामीणों के हलक
गर्मी के मौसम की शुरूआत के बाद ग्रामीण क्षेत्रों पेयजल संकट गहराने लगा है।
संवाद सहयोगी, भिकियासैंण/मौलेखाल (अल्मोड़ा) : गर्मी के मौसम की शुरूआत के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट गहराने लगा है। सबसे बुरा हाल जिले के सल्ट और भिकियासैंण विकास खंड का है। यहां हालत यह है कि ग्रामीणों को सप्ताह में एक दिन भी उन्हें पर्याप्त पेयजल मुहैया नहीं हो पा रहा है।
भिकियासैंण तहसील के जैंठा, खुरेड़ी, कोटियाग, लिसैंणी, बैल्टी, इंडा, सिनार, द्यौना, खड़खेत, रिखाड़, विनायक समेत करीब पचास गांवों के करीब 30 हजार लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए यहां कुछ सालों पहले नौला कमराड़ पेयजल योजना का निर्माण किया गया था। लेकिल पिछले डेढ़ महीने से इस योजना में लगे चार पंपों में से तीन पंप पूरी तरह खराब है। एक पंप जो चल भी रहा है वह इतनी बड़ी आबादी को पेयजल मुहैया कराने में नाकाम साबित हो रहा है। लेकिन विभाग के अधिकारी शिकायतों के बाद भी पेयजल आपूíत सुचारू नहीं कर पा रहे हैं। सल्ट विकास खंड का हाल भी कुछ ऐसा ही है। यहां भी पेयजल समस्या से निपटने के लिए करीब 22 करोड़ रुपये की कोटेश्वर शशीखाल पेयजल योजना का निर्माण शुरू किया था। जिसे एक साल पहले पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन आज भी यह योजना लोगों को पेयजल मुहैया कराने में नाकाम साबित हो रही है। निर्माण कार्य में देरी के बाद विधायक सुरेंद्र जीना ने पूर्व में यहां निर्माण कार्याें का जायजा लेकर पंद्रह अप्रैल तक योजना पूरी कर आपूíत सुचारू करने के निर्देश भी दिए। लेकिन आज तक अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
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एक करोड़ का इंटरवैल, फिर भी जनता प्यासी
अल्मोड़ा: पेयजल किल्लत से निजात के लिए नौला कमराड़ योजना के अंतर्गत एक करोड़ रुपये के इंटकवैल का निर्माण भी किया गया था। लेकिन इसके बाद भी पेयजल समस्या दूर नहीं हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पंपों के खराब होने के कारण इंटकवैल में पानी संग्रहण ही नहीं हो पा रहा है। लेकिन इसके बाद भी पंपों को ठीक करने की व्यवस्था नहीं की जा रही है।
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पंपों के खराब होने के बाद इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दे दी गई थी। लेकिन अभी तक पंप ठीक नहीं हो पाए हैं। जिस कारण अब गांवों में रोस्टर के अनुसार ही पानी वितरित किया जा रहा है।
गौरव पंत, अवर अभियंता, जल संस्थान भिकियासैंण