बुरे दौर से गुजर रही अल्मोड़ा पालिका
अल्मोड़ा नगरीय विकास का जिम्मा संभाले पालिका खुद के उद्धार की तक रही राह।
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : नगरीय विकास का जिम्मा संभाले पालिका खुद के उद्धार की राह तक रही है। माली हालत लगातार खस्ता होते चले जाने से कर्मचारियों का वेतन भुगतान ही दूभर हो गया है। आलम यह है कि पालिका में तैनात 270 अधिकारी, अभियंता व कर्मचारियों को दो माह से तनख्वाह व अन्य देयक तक नसीब नहीं हो सकी है। ऐसे में पालिका पर करीब 10.30 करोड़ रुयये बकाया चढ़ चुका है। लाज बचाने के लिए पालिका ने शासन ने बजट आवंटन की गुहार लगाई है।
जनपद की सबसे पुरानी व बड़ी नगर पालिका पर बड़ा आर्थिक संकट आ गया है। निकाय को को सरकार से 92 लाख रुपये मिलते हैं। जबकि अधिकारी व कर्मचारियों के वेतन की राशि लगभग 1.05 करोड़ रुपये बैठती है। आमदनी कम व खर्चा अधिक होने से अब पालिका की आर्थिक स्थिति बद से बद्तर हो चली है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों के देयक तक रुके पड़े हैं।
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प्राधिकरण ने भी लगाई चपत
दरअसल, पूर्व में पालिका को भवन संबंधी मानचित्र बनाने के काम से अच्छीखासी आमदनी हो जाती थी। मगर जिला विकास प्राधिकरण बनने के बाद से यह काम भी हाथ से चला गया। इससे आय पर बड़ा फर्क पड़ा है।
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अब वैश्विक महासंकट की मार रही सही कसर कोरोनाकाल ने पूरी कर दी है। वैश्विक महासंकट की मार से पालिका को तहबाजारी से होने वाली कमाई भी घट गई है। फड़ कारोबार भी कम हो चला है। इसका खामियाजा अधिकारी, अभियंता व कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है। उन्हें बीते दो माह से वेतन के लाले पड़े हैं।
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सेवारत व सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारियों का करीब 10.30 करोड़ रुयये बकाया चढ़ गया है। हमारे पास देयकों के भुगतान के लिए धनराशि ही नहीं है। शासन को पत्र लिख बजट उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। धनराशि मिले तो वेतन व अन्य देयकों का भुगतान करें।
- प्रकाश चंद्र जोशी, पालिकाध्यक्ष अल्मोड़ा