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तमाम यातनाओं के बाद भी जज्बे में नहीं आई कमी

दिनकर जोशी, सोमेश्वर (अल्मोड़ा) आजादी की लड़ाई में अल्मोड़ा जिले की बौरारो घाटी के या

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Sep 2018 11:09 PM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 11:09 PM (IST)
तमाम यातनाओं के बाद भी जज्बे में नहीं आई कमी
तमाम यातनाओं के बाद भी जज्बे में नहीं आई कमी

दिनकर जोशी, सोमेश्वर (अल्मोड़ा)

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आजादी की लड़ाई में अल्मोड़ा जिले की बौरारो घाटी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। यहां के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने ब्रितानी हुकूमत की तमाम यातनाओं को सहन करना ठीक समझा लेकिन कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से समझौता नहीं किया। जिस कारण आज भी हर दो सिंतबर को भावी पीढ़ी उन्हें शहीद दिवस के मौके पर याद करती है।

पूरे देश में आजादी की लड़ाई समांतर रूप से लड़ी गई। लेकिन आजादी के नायक महात्मा गांधी के 1929 में पंद्रह दिनों के प्रवास के बाद बौरारो घाटी में आजादी की अलख तेज हो गई। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने कुली बेगार, झंडा सत्याग्रह, जंगल सत्याग्रह, अंग्रेजों भारत छोड़ो, असहयोग आंदोलन समेत सभी आंदोलनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। वर्ष 1938 में चनौदा में गांधी आश्रम की स्थापना की गई जो आंदोलनकारियों की मुख्य स्थली बना और अंग्रेजों की आंखों में किरकिरी बनता चला गया। राम मनोहर लोहिया की सभा आंदोलनकारियों के जज्बे को बढ़ाने और मददगार साबित हुआ। दो सितंबर 1942 को अंग्रेजों ने चनौदा गांधी आश्रम को घेर लिया और आश्रम की संपत्ति को जब्त करने के साथ ही आंदोलनकारियों को तमाम यातनाएं दी। लेकिन फिर भी आजादी के मतवालों का जोश कम नहीं हुआ।

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शहीदों की याद में लगाई गई हैं मूर्तियां

आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व खो देने वाले वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान को उनकी भावी पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके इसके लिए यहां शहीद स्मारक की स्थापना के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मूर्तियों की भी स्थापना की गई है। हर साल शहीदों के वंशज यहां आकर उन्हें श्रद्धाजंलि देते हैं। कार्यक्रम के आयोजकों की यही मंशा रहती है कि भावी पीढ़ी आजादी की लड़ाई में अपने पूर्वजों के योगदान को समझ सके और उनके सपनों को पूरा करने के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से कर सके।

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सपनों को पूरा करने का लेना होगा संकल्प

दो सितंबर को शहीद दिवस के मौके पर यहां शहीदों को याद करने के लिए लोगों का रेला उमड़ता है। राजनीतिक, सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों के अलावा हर वर्ग से जुड़े लोग इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं। शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए हर साल यहां के विकास के लिए तमाम घोषणाएं भी होती हैं। लेकिन फिर भी सेनानियों का यह क्षेत्र विकास की दौड़ में काफी पीछे है। शहीद दिवस के मौके पर जरूरत है कि हर व्यक्ति शहीदों के सपनों को पूरा करने का संकल्प ले। शायद यहीं उन्हें हमारी सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।

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शहीद दिवस पर कार्यक्रमों का होगा आयोजन

शहीद दिवस के मौके पर रविवार को चनौदा स्थित स्मारक पर शहीद दिवस का आयोजन होगा। कांग्रेस, भाजपा, उक्रांद, बसपा, सपा समेत सभी क्षेत्रीय दलों के नेताओं समेत हर वर्ग से जुड़े लोग शहीदों को श्रद्धाजंलि देंगे। इस मौके पर स्कूली बच्चों द्वारा रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा।


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